राज्योत्सव पर विशेष: दो फ्लाइट से शुरू हुई थी, अब छत्तीसगढ़ के आसमान में 30 विमान

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रायपुर। निर्माण के 25 सालों में छत्तीसगढ़ का आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से काफी विकास हुआ है। प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहे इस राज्य में परिवहन के साधन भी उसी रूप में विकसित हुए हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2000 के पहले माना एयरपोर्ट से केवल दिल्ली और मुंबई की फ्लाइट संचालित होती थी। यह विमान भी उन शहरों से आकर क्रमशः नागपुर और विशाखापट्नम होकर लौटता था। आज की स्थिति में यहां से प्रतिदिन तीस विमान सुबह से लेकर रात तक आवाजाही कर रहे हैं। रायपुर हवाई मार्ग के जरिए चारों महानगरों के साथ दर्जनभर शहरों से कनेक्ट हो चुका है।
रायपुर से अब राजधानी दिल्ली के लिए रोजाना आठ उड़ानें संचालित हो रही हैं। रायपुर में माना एयरपोर्ट अधिकारिक तौर पर 1975 से सक्रिय है। उस दौरान एक छोटी फ्लाइट रायपुर से जबलपुर, इंदौर, ग्वालियर होकर दिल्ली का सफर सात से आठ घंटे में पूरा करती थी। उस दौरान गिनती के यात्री ही इस विमानों में सफर करते थे। धीरे-धीरे इसका विकास हुआ और राज्य निर्माण के पहले एयर इंडिया की दो फ्लाइट के जरिए रायपुर एयरपोर्ट चार शहरों से कनेक्ट हुआ। एयर इंडिया की एक फ्लाइट दिल्ली से रायपुर आती और नागपुर होकर वापस दिल्ली जाती।
वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया
वहीं दूसरी फ्लाइट मुंबई से रायपुर आकर विशाखापट्नम होकर वापस मुंबई का सफर पूरा करती। इसके बाद वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया। इसके बाद यहां लोगों की आवाजाही बढ़ी और धीरे-धीरे रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय विमानतल का दर्जा मिल गया। यह विमानतल सुबह छह बजे फ्लाइटों के ऑपरेशन के लिए तैयार होता है और रात साढ़े दस बजे के बाद बंद होता है। रायपुर से प्रतिदिन दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई यानी चारों महानगरों के साथ पुणे, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, लखनऊ, इंदौर, भोपाल, भुवनेश्वर सहित दर्जनसभर शहरों के लिए फ्लाइट का संचालन होता है।
2012 में हुआ नामकरण
जानकारों की मानें, तो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इसका उपयोग शुरू हुआ और 1942 में इसे विकसित किया गया। वर्ष 1975 में अधिकारिक तौर पर इसे सक्रिय किया गया। वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसके नए एकीकृत टर्मिनल भवन का लोकार्पण किया था। करीब डेढ़ सौ करोड़ की लागत से इस डेढ़ हजार यात्रियों की क्षमता वाले इस भवन के उद्घाटन के साथ वर्ष 2012 में विमानतल का नामकरण दार्शनिक स्वामी विवेकानंद के नाम पर किया गया।
पहले - दिल्ली और मुंबई से आकर नागपुर और विशाखापट्नम से होती थी वापसी।
अब - चारों महानगर के साथ दर्जनभर शहरों की नियमित फ्लाइट, सर्वाधिक आठ दिल्ली की ।
रोजाना 7 हजार यात्री
राज्य निर्माण के पहले रायपुर एयरपोर्ट से गिनती के यात्री सफर करते थे। अब की स्थिति में यहां से प्रतिदिन 6 से 7 हजार यात्रियों की आवाजाही होती है। यहां से कार्गो सेवा की शुरुआत भी की जा चुकी है और आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय विमान प्रारंभ करने की तैयारी है। राज्य में रायपुर के इस प्रमुख एयरपोर्ट के अलावा जगदलपुर और बिलासपुर में फ्लाइटों की आवाजाही के लिए विमानतल सक्रिय है। आने वाले दिनों में अंबिकापुर और रायगढ़ में भी विमान सेवा शुरू करने की तैयारी है।
