धनतेरस पर विशेष: छत्तीसगढ़ में दो जगह स्थापित है भगवान धनवंतरी की मूर्ति

धनतेरस पर विशेष : छत्तीसगढ़ में दो जगह स्थापित है भगवान  धनवंतरी की मूर्ति
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भगवान धनवंतरी 

प्रदेश की पहली और आयुष विश्वविद्यालय में धनवंतरी की दूसरी प्रतिमा स्थापित है। भगवान धनवंतरी के चारों हाथों में जीवन कल्याण के प्रतीक हैं।

रायपुर। जैसा कि हम पौराणिक प्रसंगों में सुनते और पढ़ते हैं कि भगवान धनवंतरी के चारों हाथों में जीवन कल्याण के प्रतीक हैं। एक हाथ में अमृत कलश, दूसरे हाथ में शंख, तीसरे हाथ में वनौषधि और चौथे हाथ में आयुर्वेद का ग्रंथ है। आयुष विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. जीबी गुप्ता ने बताया कि जीई रोड स्थित आयुर्वेद कॉलेज के आंतरिक प्रवेश द्वार के पास मूर्ति स्थापित है। कॉलेज में प्रवेश करते ही गुरु और शिष्य रोज धनवंतरी स्तुति के बाद आगे बढ़ते हैं। यह प्रदेश की पहली और आयुष विश्वविद्यालय में धनवंतरी की दूसरी प्रतिमा स्थापित है।

राजधानी के आयुर्वेद कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी ही नहीं, बल्कि शिक्षक और डॉक्टर भी सिर झुकाने और आशीष लेने के बाद ही इलाज और पढ़ाई शुरू करते हैं। यहां रोज आयुर्वेद के देवता की पूजा होती है। यहां विधि-विधान से नियम का पालन करते हुए विशेष पूजा के साथ धनतेरस की शाम आकर्षक रंगोली सजाई जाती है। धनतेरस के मौके पर दोनों जगह अलग-अलग समय में पूजा के बाद दीयों की श्रृंखला भी सजती है। दोनों ही मूर्तियों को कांसे के रंग से खास स्वरूप दिया गया है। कॉलेज में दस साल पहले धनवंतरी की मूर्ति स्थापित की गई। कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद के देवता भगवान धनवंतरी की प्रतिमा 2015 में स्थापित की गई। इसके साथ ही पूजा करने के बाद इलाज और पढ़ाई का क्रम शुरू होता है। इस तरह की व्यवस्था है कि आयुर्वेद संस्थानों में प्रवेश करते ही लोग सिर झुकाते हुए आगे बढ़ते हैं।

विधिवत की जाती है आराध्य की पूजा
धनतेरस के दिन सुबह आठ बजे विधि-विधान से पूजा की जाएगी। साथ ही 101 दीपों की श्रृंखला और रंगोली विद्यार्थियों द्वारा सजाई जाएगी। आयुष के पूर्व कुलपति डॉ. जीबी गुप्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय कैंपस में 2018 में भगवान धनवंतरी की मूर्ति आयुर्वेद कॉलेज की तरह ही माना के एक कारीगर से बनवाने के बाद स्थापित करवाने का अवसर मिला। जितने लोग आराध्य देव के सामने से आते-जाते हैं, वे आयुर्वेद के देवता से आशीष लेते हैं।धनतेरस के शुभ अवसर पर विधि-विधान से चिकित्सा के देवता की पूजा-अर्चना की परंपरा शुरू की गई थी। आयुष के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. सुपर्ण सेन गुप्ता ने बताया कि मूर्ति स्थापित होने से धनतेरस के अवसर पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ दीपों की श्रृंखला सजाई जाती है।

धनवंतरी से बेहतर स्वास्थ्य की कामना
प्रोफेसर ने बताया कि, स्थापित मूर्ति आरसीसी स्टैक्चर होने के साथ ही करीब 8 फीट ऊंची है। इसे कांसे के कलर से संवारा गया है, जो भगवान धनवंतरी का मूल स्वरूप है। आयुर्वेद कॉलेज में मूर्ति को प्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मश्री जे. नेल्सन ने आकार दिया है। मूर्ति का वजन आधा टन से ज्यादा है। कॉलेज के प्रोफेसर और कर्मचारी ही नहीं, विद्यार्थी भी शीश झुकाने के बाद काम शुरू करते हैं। लोग धनवंतरी की पूजा करके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं। वहीं, कॉलेज की छात्र-छात्राएं रोज पूजा करके भगवान से मांगते हैं कि उन्हें औषधि का बेहतर ज्ञान दें, ताकि वे पढ़ाई पूरी करने के बाद ताउम्र लोगों को बेहतर सेवा दे सकें।

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