धड़ल्ले से हो रहा रेत का अवैध परिवहन: प्रतिबंध के बाद भी मांड नदी में नहीं थम रहा खनन, प्रशासन मौन

धड़ल्ले से हो रहा रेत का अवैध परिवहन
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 हाइवा और टिपर में रेत का अवैध परिवहन

सीतापुर के प्रतापगढ़ क्षेत्र में एनजीटी प्रतिबंध के बावजूद मांड नदी से रेत का अवैध खनन, भंडारण और रात के अंधेरे में परिवहन जारी है।

अनिल उपाध्याय- सीतापुर। एनजीटी द्वारा प्रतिबंध के बावजूद क्षेत्र में रेत का अवैध खनन एवं भंडारण भारी पैमाने पर धड़ल्ले से किया जा रहा है। रेत कारोबारी बिना अनुमति के नदी से रेत की खुदाई करते हुए भंडारण कर रहे हैं। जहां से हाइवा और टिपर में रेत भरकर उसे रात के अंधेरे में खपाया जा रहा है।

बता दें कि, रेत के इस अवैध कारोबार की भनक प्रशासन एवं खनिज विभाग को नही है। लेकिन अधिकारी इस सम्बंध में जानकारी होने के बाद भी कार्यवाही के बजाए चुप्पी साधे हाथ पर हाथ धरे बैठे है। जिसकी वजह से क्षेत्र में रेत का अवैध खनन एवं परिवहन धड़ल्ले से जारी है।

बिना अनुमति मांड नदी रेत का खनन और भंडारण
गौरतलब है कि, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए एनजीटी ने 10 जून से नदी नालों से रेत खनन पर प्रतिबंध लगाई गई है। प्रतिबंध के दौरान नदी नालों से रेत का खनन और परिवहन करना आपराधिक कृत्य माना जाता है। इसके बाद भी ग्राम प्रतापगढ़ मांड नदी से रेत का अवैध खनन एवं भंडारण भारी पैमाने पर धड़ल्ले से किया जा रहा है। रेत कारोबारी प्रतिबंध के बाद भी बिना अनुमति मांड नदी से रेत का खनन और भंडारण कर रहे है। उक्त भंडारण ग्राम प्रतापगढ़ के बाजारडाँड़ में किया जा रहा है। जिसके लिए खनिज विभाग से कोई वैध अनुमति नहीं ली गई है। जबकि रेत खनन के दौरान भंडारण हेतु जिस जगह का निर्धारण किया जाता है उसके लिए तय मापदंड के आधार पर खनिज विभाग द्वारा अनुमति प्रदान करती है।

जीवनदायिनी मांड नदी का अस्तित्व खतरे में
इसके बाद भी रेत कारोबारी शासन द्वारा बनाए गए नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं और बिना अनुमति के रेत का भंडारण करते हुए सरकार को चुना लगा रहे हैं। भंडारण के बाद देर रात जेसीबी मशीन द्वारा टिपर वाहनों में रेत भरकर उसे बाहर खपाया जा रहा है। इस दौरान रेत से भरी हाइवा और टिपर वाहन को त्रिपाल से ढंक दिया जाता है, ताकि उस पर किसी की नजर न पड़े। प्रतापगढ़ में खुलेआम चल रहे अवैध रेत के इस अवैध कारोबार को लेकर स्थानीय लोगों में भी भारी नाराजगी देखी जा रही है। उनका कहना है कि, प्रतिबंध के बाद भी जिस तरह मांड नदी से रेत का खनन किया जा रहा है। उससे क्षेत्र की जीवनदायिनी मांड नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

रेत खनन के लिए खोदे गए गड्ढे में एक बालक की डूबने से मौत
स्थानीय लोगों का कहना है कि रेत के लिए जिस तरह से मांड नदी का दोहन किया जा रहा है। उसकी वजह से नदी में जगह जगह खतरनाक और जानलेवा गड्ढे निर्मित हो गए है। जिसकी वजह से बारिश के दिनों में जानलेवा हादसे का खतरा बना रहता है। बीते साल प्रतापगढ़ के मांड नदी में ऐसा एक हादसा हो चुका है। जिसमे रेत खनन के लिए खोदे गए गड्ढे में एक बालक की डूबने से मौत हो गई थी। इस संबंध में लोगों ने प्रतापगढ़ के मांड नदी में चल रहे रेत के अवैध खनन एवं परिवहन पर रोक लगाने की मांग की है। ताकि मांड नदी के अस्तित्व को बचाया जा सके और रेत खनन की वजह से निर्मित होने वाले जानलेवा गड्ढों पर रोक लगाई जा सके।

जानकारी के बाद भी खनिज विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल
ग्राम प्रतापगढ़ में हो रहे रेत के अवैध खनन एवं परिवहन की जानकारी के बाद भी खनिज विभाग की चुप्पी पर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। लोगों का कहना है कि, खनिज विभाग यह सब जानते हुए भी इंजे विरुद्ध कोई कार्यवाही नही कर रही है। खनिज विभाग केवल प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रेत ढुलाई करने वाले गरीब ट्रैक्टर मालिकों के विरुद्ध कार्यवाही करती है। अपनी वाहवाही के लिए अधिकारी गरीबों का रेत से भरा ट्रेक्टर पकड़ते है और मोटा जुर्माना लगाते हैं।

इस संबंध में होगी कार्यवाही
वहीं, रसूखदारों की रेत से भरे हाइवा एवं टिपर जैसे वाहनों को पकड़ने में इनके हांथ कांप जाते है। जबकि रेत कारोबारी दिन के उजाले में नदी से रेत खनन कर उसे ट्रैक्टर के माध्यम से भंडारण कराते हुँ और रात के अंधेरे में उसे बाहर खपाते है। लोगों का कहना है कि, जिस बेखौफ अंदाज में प्रतापगढ़ में रेत की तस्करी हो रही है। उसे देख ये सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि, बिना अधिकारियों के सहमति के बिना ये संभव नही है। इस संबंध में एसडीएम रामसिंह ठाकुर ने कार्यवाही की बात कही है।

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