पानी से भरे गड्ढे में गिरा हाथी: देखिए VIDEO वन विभाग ने कैसे रास्ता बनाकर बाहर निकाला

पानी से भरे गड्ढे में गिरा हाथी
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हाथी को गड्ढे से बाहर निकालती हुई जेसीबी 

सीतापुर वन परिक्षेत्र के सरगा खेजूरपारा में मिट्टी के पुराने गड्ढे में जंगली हाथी गिर गया है। वन विभाग की टीम ने सुरक्षित बाहर निकाला।

अनिल उपाध्याय- सीतापुर। छत्तीसगढ़ के सीतापुर के वनक्षेत्र कांसाबेल से भटककर ग्राम सरगा पहुंचा जंगली नर हाथी फिसलकर गड्ढे में जा गिरा। जंगली नर हाथी के गड्ढे में गिरने की जानकारी मिलते ही उच्चाधिकारियों के निर्देशन में वनपरिक्षेत्राधिकारी विजय कुमार तिवारी दलबल सहित मौके पर पहुँचे।

जेसीबी मशीन के सहयोग से जंगली हाथी को गड्ढे से निकालने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। लगभग दो घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद जंगली नर हाथी को गड्ढे से सुरक्षित बाहर निकाला गया। फिलहाल, जंगली नर हाथी ग्राम सरगा के जंगलों में विचरण कर रहा है। वन विभाग आसपास के गांवों में लगातार सूचना के माध्यम से लोगो को सचेत कर रही है।

मौके पर मौजूद रहा वन अमला
जंगल मे जंगली हाथी की मौजूदगी को देखते हुए वन विभाग लोगों को जंगल न जाने का सलाह दे रही है। जंगल के आसपास बसे गांव के लोग सतर्क और सुरक्षित रहे। ताकि जंगली हाथी से होने वाले जानमाल के नुकसान को टाला जा सके। इस रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान वनपरिक्षेत्राधिकारी विजय कुमार तिवारी समेत वन अमला मौके पर मौजूद रहे।

हसदेव नदी के किनारे हाथी के शावक की मिली लाश
वहीं रविवार को कोरबा जिले में हसदेव नदी के किनारे झाड़ी में हाथी के शावक की लाश मिली थी। बताया जा रहा था कि हाथी शावक नदी पार करने के दौरान बह गया था। स्थानीय लोगों ने देखते ही इसकी सूचना वन विभाग को दी थी। जिसके बाद टीम ने शव बरामद कर लिया था। कटघोरा वन मंडल के पसान रेंज के पनगंवा में 54 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। इस झुंड में उनके साथ बच्चे भी रहते हैं। इन्ही में से एक शावक के नदी पार करने के दौरान बह गया। जिसके बाद उसका शव झाड़ियों में फंसा था।

पीएम के बाद होगा मौत के कारणों का खुलासा- रेंजर
इस पूरे मामले को लेकर रेंजर अभिषेक दुबे ने बताया था कि प्रारंभिक जांच में हसदेव नदी के बहाव के साथ बहकर शव के आने की संभावना है। उसकी मौत कैसे हुई पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा। शुरुआती जांच में नदी पार करते समय पानी में बहने से होना माना जा रहा है। एक सप्ताह पहले ही सखोदा में हथिनी ने बच्चों को जन्म दिया था। इसके बाद 27 हाथियों का झुंड आगे बढ़ गया था।

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