शारदीय नवरात्रि पर 'कुंवारी माता' की अनूठी भक्ति: पेट पर बोया जंवारा, जलाई ज्योति कलश

कातरों गांव में कुंवारी माता के नाम वैष्णवी ने पेट पर बोया जवारा
भिलाई। शारदीय नवरात्रि के दौरान शहर से लेकर गांव तक भक्त मां दुर्गा की आराधना में जुटे हैं। हर तरफ देवालय भक्ति से सराबोर है। इस बीच माता की एक भक्त वैष्णवी साहू ने शरीर को कष्ट देते हुए 9 दिन की अनोखी आराधना शुरू की है।
दुर्ग जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव कातरों में कुंवारी माता के नाम से पहचानी जाने वाली वैष्णवी ने पेट में जवारा बोया है, इतना ही नहीं, उसने उसके ऊपर ज्योति कलश स्थापित किया है। नवरात्रि के पहले दिन कुंवारी माता से सुबह करीब 5 बजे पहले पदयात्रा कर ठाकुरदेव मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद दोपहर करीब 1 बजे उसने पेट पर ज्योति कलश की स्थापना की। इसके बाद से वह लगातार लेटकर माता की अराधना कर रही हैं।
पांच बार दंडाशरण करते हुए मां बम्लेश्वरी के दर्शन को भी जा चुकी
ऐसा नहीं कि कुंवारी माता ने ऐसी आराधना पहली बार करने का निर्णय लिया है, इससे पहले भी वह ऐसा कर चुकी है। वर्ष 2019 से लगातार दोनों नवरात्रि में वह माता की साधना कर रही हैं। वे पांच बार दंडाशरण करते हुए मां बम्लेश्वरी के दर्शन को भी जा चुकी हैं। वे अगले नौ दिनों तक उपवास रखकर कलश लिए लेटे रहेंगी।
14 साल की उम्र से वह माता की भक्ति में डूबी
वैष्णवी के पिता प्रमोद साहू का निधन हो चुका है। वे अपनी मां प्यारी साहू के साथ रहती हैं। 14 साल की उम्र से वह माता की भक्ति में डूबी हुई हैं। पहले गांव के लोग उनके पास समस्या लेकर पहुंचते थे। वह लोगों को भक्ति का मार्ग बताकर उनकी समस्याओं का निराकरण करती थीं। धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि बढ़ती गई।
आज यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चित बंगाल, मुंबई, दिल्ली से लोग उनके दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। उनके समक्ष समस्याएं रखते हैं। हर रविवार, सोमवार और गुरुवार को दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक वे लोगों की समस्याएं सुनती है और उन्हें भक्ति का मार्ग बताती हैं। कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें देवी भी आती है, इस दौरान गांव में अनुष्ठान और पूजन किया जाता है।
