संजीवनी एंबुलेंस सेवा का टेंडर फिर रद्द: 10 करोड़ के डिपॉजिट का आ रहा पेंच

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रायपुर। आपात स्थिति में मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाने नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा के संचालन के लिए एजेंसी तय करने का काम विभाग पूरा नहीं कर पा रहा है। टेंडर में शामिल 10 करोड़ की अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट का नियम छोटी कंपनियां पूरा नहीं कर पा रही हैं, जिसकी वजह से जारी टेंडर को दूसरी बार निरस्त करना पड़ा है। टेंडर जारी करने की जिम्मेदारी उठा रहे जिम्मेदार पुरानी कमियों को दूर करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। राज्य में 108 संजीवनी एक्सप्रेस सेवा योजना के तहत सरकारी एंबुलेंस का संचालन करीब दस साल तक एक कंपनी द्वारा किया गया था। वाहनों के पुराने होने के बाद नियम में बदलाव किया गया और वर्ष 2019 में एंबुलेंस सेवा की जिम्मेदारी जय अंबे इमरजेंसी सर्विस को मिली।
नियम के मुताबिक, कंपनी अपने साथ 328 नयी एंबुलेंस लेकर आई थी। संबंधित कंपनी अपनी सेवा अवधि पूरी करने के बाद पिछले एक साल से टेंडर प्रक्रिया पूरी होने तक मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी उठा रही है। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग और सीजीएमएससी के अधिकारी इस महत्वपूर्ण सुविधा के लिए एजेंसी तय करने टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं। पहला टेंडर जून में निरस्त हुआ। इसके बाद पुनः प्रक्रिया शुरू की गई, मगर पुराने अनुभव के आधार पर नियम की कमियां दूर करने के बजाए जुलाई में फिर से टेंडर जारी कर दिया। ढाई महीने की अधूरी प्रक्रिया के बाद दो दिन पहले जारी टेंडर को निरस्त कर दिया गया। सूत्रों का कहना है नियम का सबसे बड़ा पेंच 10 करोड़ की ईएमडी तय किया जाना है। पिछली बार यह राशि 50 लाख रुपये थी, जिसमें 20 गुना की बढ़ोतरी को लेकर विभिन्न तरह के सवाल खड़े किये जा रहे हैं। दावा किया जा रहा कि इतनी बड़ी रकम डिपाजिट करना मध्यम और छोटी कंपनियों के बूते के बाहर की बात नहीं है।
कबाड़ी भी नहीं खरीद रहे
राज्य में दस साल तक बेइंतहा दौड़ने के बाद खराब हो चुकी 108 की सरकारी एंबुलेंस को नई एजेंसी तय करने के बाद डंप कर दिया गया था। स्वास्थ्य केंद्रों में खड़ी इन गाड़ियों के पार्ट्स और इंजन गायब हो गए। जिला स्तर पर उन पुरानी गाड़ियों को बेचने के लिए कबाड़ी की तलाश अब तक पूरी नहीं हो पाई है। विभागीय अफसरों का कहना है कि दस साल चलने और छह साल बिना उपयोग के पड़ी इन एंबुलेंस के ढांचे को कबाड़ी भी खरीदने को तैयार नहीं हैं।
शिकायत भी आ रही
मरीजों को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाने वाली एंबुलेंस के सही समय पर मरीजों तक नहीं पहुंचने संबंधी शिकायत आने लगी है। दूरवर्ती जिलों में भौगोलिक परिस्थिति और पहुंच विहीन इलाका होने की वजह से एबुलेंस मरीज तक नहीं पहुंच पाई है। इसे लेकर कई बार विभागीय अफसरों की जवाबदेही भी तय की जा चुकी है।
