चावल की अफरा- तफरी: पकड़ी गई 115 करोड़ की गड़बड़ी, कार्रवाई की तैयारी

File Photo
रायपुर। पीडीएस के बचत चावल के मामले में जांच कर रही विधानसभा समिति के सामने खाद्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। बिलासपुर को छोड़ आदिवासी क्षेत्र के जिलों में 1 अरब 28 करोड़ रुपए मूल्य का 4.63, 319 टन चावल कालाबाजार की भेंट चढ़ गया। विधानसभा जांच समिति, विभाग द्वारा दी गई जानकारी की समीक्षा कर आगे की कार्रवाई की दिशा निर्धारित करेगी। समिति के सदस्य इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि राशन दुकानों में चावल स्टाक जानकारी खाद्य निरीक्षकों द्वारा संचालनालय की को देने के बाद भी बचत स्टाक को घटा कर क्यों नहीं दिया गया।
खाद्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि, एनआईसी तकनीकी त्रुटि का कारण बताकर सामान्य जिलों के लगभग चार सौ करोड़ रुपए के चावल का समयोजन कर चुका है। केवल आदिवासी जिलों को इस कारण छोड़ दिया गया, क्योंकि उनके द्वारा दूसरा रास्ता नहीं चुना गया था।
इन जिलों में सबसे अधिक गड़बड़ी
चावल के बचत स्टाक में सबसे ज्यादा गड़बड़ी कोरबा जिले में पाई गई। यहां पर 37 हजार 276 क्विंटल, सरगुजा में 36,781 क्विंटल, बलरामपुर में 40 हजार 26 क्विंटल, बस्तर में 37 हजार 276, सूरजपुर में 36 हजार 781, कांकेर में 35 हजार 827, कवर्धा में 34 हजार 660, सक्ती में 32 हजार 627, जशपुर में 31 हजार 180 और बिलासपुर में 22 हजार 417 क्विंटल चावल के बचत स्टाक की अफरातफरी की गई। इन 10 जिलों में कुल 115 करोड़ रुपार की चावल की अफरा तफरी होने के प्रमाण मिले हैं।
10 जिलों में हुई कालाबाजारी
10 जिलों में 4.633.19 टन चावल जिसकी बाजार में कीमत 128.09 करोड़ रुपए है, की कालाबाजारी की गई। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय कोरबा जिला भ्रष्ट्राचार का गढ़ रहा था। पीडीएस चावल बचत घोटाले में भी राज्य में पहले नंबर पर रहा। 16.59 करोड़ के मूल्य का 4669.56 टन चावल कालाबजारी में चला गया। ये गड़बड़ी 298 राशन दुकानों द्वारा की गई, जिन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। 50 राशन दुकान निलंबित हुई, 31 निरस्त हुई। सिर्फ 31 दुकानों को राजस्व वसूली का नोटिस जारी हुआ। जिन 298 राशन दुकानों को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ, उनमें से केवल 112 के विरुद्ध कार्रवाई हुई।
