आवारा पशुओं को हटाने की जिम्मेदारी तय: सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना होगा

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रायपुर। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अखबारी रिपोर्ट पर लिए गए स्वतः संज्ञान पर जारी आदेश के क्रियान्वयन में अब सड़कों से गायों, आवारा पशुओं को हटाने की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। एक अन्य मामले में नगरीय निकायों को आदेश दिया गया है कि मरे हुए पशुओं को 48 घंटे के भीतर हटाकर उनका वैज्ञानिक विधि से निपटारा करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों से संबंधित मामले की सुनवाई के बाद आदेश जारी किया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य मार्गों, राष्ट्रीय एक्सप्रेस वे से सभी आवारा गोवंशीय एवं अन्य पशुओं को हटाया जाए। इस मामले को लेकर अब नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने राज्य के सभी नगर निगम आयुक्त, सभी मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका एवं नगर पंचायत को आदेश जारी कर दिया है।
चलाना होगा अभियान
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने इस संबंध में आदेश दिया है कि सभी निगम आयुक्त, सभी पालिका अधिकारी, सड़क एवं लोक परिवहन विभाग तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण एक संयुक्त समन्वित अभियान चलाकर राजमार्गों, और एक्सप्रेस वे के उन हिस्सों की पहचान करेंगे जहां आवारा गोवंशीय एवं अन्य पशु अक्सर पाए जाते हैं, उन्हें हटाने के साथ ही आश्रय स्थल में विस्थापित करना होगा। आवारा गोवंशीय अन्य पशुओं को यथा स्थिति उपयुक्त आश्रय स्थलों या गोशालाओं पशु बाड़ों में रखकर उन्हें भोजन, पानी, और पशु चिकित्सा भी दी जाए।
मरे पशुओं को 48 घंटे में हटाना होगा
राजधानी रायपुर में पिछले महीने हुए कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा दिए गए निर्देश पर अमल करते हुए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने शहरों में गौवंशीय एवं अन्य पशुओं के मृत शरीर के वैज्ञानिक एवं सुरक्षित निपटान के लिए उपयुक्त स्थल निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने सभी नगरीय निकायों को परिपत्र जारी कर पर्यावरणीय मानकों और जैव-सुरक्षा नियमों के अनुरूप 48 घंटे के भीतर पशुओं के मृत शरीर के निपटान के लिए निर्देशित किया है।
जारी हुआ ये आदेश
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा मंत्रालय से सभी नगर निगमों के आयुक्तों तथा नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को जारी परिपत्र में कहा गया है कि सभी निकायों में गोवंशीय तथा अन्य पशुओं के मृत शरीर के वैज्ञानिक एवं सुरक्षित निपटान के लिए उपयुक्त स्थल का चयन करते हुए तत्काल इसका निर्धारण करें। विभाग ने निपटान का स्थल आबादी से उचित दूरी पर तथा पर्यावरणीय मानकों एवं जैव-सुरक्षा नियमों के अनुरूप सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2011 के तहत मृत पशुओं के निपटान की सेवा 48 घंटे की समय-सीमा में प्रदान किया जाना अनिवार्य है।
