महिला सचिव से परेशान ग्रामीण: ग्रामीणों के साथ सरपंच पहुंचे कलेक्टर दरबार, हटाने के लिए दिया ज्ञापन

राजिम क्षेत्र के ग्राम पंचायतो में वर्षो से जमे कुछेक पंचायत सचिवो की मनमानी इतनी बढ़ गई है कि वे जनता के वोटो से चुनकर आए पंच परमेश्वरो को कुछ नही समझ रहे हैं।
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सरपंच ने एसपी को सौंपा ज्ञापन 

राजिम क्षेत्र के ग्राम पंचायतो में वर्षो से जमे कुछेक पंचायत सचिवो की मनमानी इतनी बढ़ गई है कि वे जनता के वोटो से चुनकर आए पंच परमेश्वरो को कुछ नही समझ रहे हैं।

श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। छत्तीसगढ़ के राजिम क्षेत्र के ग्राम पंचायतो में वर्षो से जमे कुछेक पंचायत सचिवो की मनमानी इतनी बढ़ गई है कि वे जनता के वोटो से चुनकर आए पंच परमेश्वरो को कुछ नही समझ रहे हैं। अपनी मनमानी चला रहे हैं। ऐसे सचिवों के फुल दादागिरी से सरपंच गांव का विकास नही कर पा रहे हैं। इससे जनता के बीच सरपंच की छवि धूमिल हो रही है। ताजा उदाहरण के रूप में फिंगेश्वर ब्लॉक के ग्राम पंचायत परतेवा का मामला सामने आया है।

यहां के युवा सरपंच पिछले 7 महिने से महिला सचिव की प्रताड़ना झेल रहे है। थक हारकर वे फिंगेश्वर के सीईओ को अपनी व्यथा सुनाएं परंतु इस सीईओ ने सरपंच की परेशानी को हवा में उड़ा दिया। मंगलवार 2 सितंबर को जनदर्शन में एक आवेदन बनाकर वे जिला कलेक्टर उइके साहब से मिलने गए। सचिव को हटाने के लिए ज्ञापन दिया।

ग्रामीणों को नहीं मिल पाता योजनाओं का लाभ
सरपंच षटकोण साहू ने मीडिया को सिलसिलेवार जानकारी देते हुए बताया कि पिछले अगस्त माह में ग्राम सभा की बैठक नही कराई। फरवरी से लेकर अगस्त तक 7 महिने में वे यदि 10 बार भी ग्राम पंचायत परतेवा पहुंची हो तो बहुत बड़ी बात है। इस सचिव के मनमानी से ग्रामवासियो का जो गरीबी रेखा, राशन कार्ड, मृत्यु प्रमाण पत्र और शासन से किसी भी मृतक व्यक्ति को तत्काल सहायता के रूप में 2 हजार रूपए की राशि नहीं मिल पाता। वे न तो सरपंच का फोन उठाती है और न ही ग्रामवासियो का। सरपंच षटकोण साहू ने अपनी पीड़ा बताते हुए आगे कहा कि गांव में स्वच्छता अभियान एवं नल जल योजना के तहत उन्होने स्वयं का 2 लाख रूपए लगाकर काम कराया है यह राशि भी उन्हें अभी तक पंचायत से केवल सचिव के मेहरबानी से प्राप्त नहीं हुआ है।

ग्रामीणों को गलत जानकारी देने का आरोप
बताया जाता है कि, पिछले 10 वर्षो से यह महिला सचिव कंचन शर्मा (देवांगन) इसी पंचायत में पदस्थ है। इनको बेलटुकरी पंचायत का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। कभी फोन उठा भी ली तो कहती है मै बेलटुकरी में काम कर रही हूं। ब्लॉक के सीईओ आखिर इस सचिव के प्रति इतने मेहरबान कैसे हैं यह समझ से परे है? क्या फिंगेश्वर ब्लॉक में सचिवो की कमी है? यदि ये महिला सचिव दो ग्राम पंचायतो का काम नही संभाल पा रही है तो परतेवा जैसे बड़े गांव में किसी दूसरे सचिव की नियुक्ति क्यों नहीं कर देते? जब इनकी इतनी शिकायते है। ग्रामीण जब सरकार की किसी भी योजनाओं की जानकारी पूछते हैं तो वह गलत जानकारी देती हैं। बल्कि, काफी आक्रोशित पूर्वक गलत शब्दों में व्यवहार करती है। अपने आप को कलेक्टर से कम नही समझती। पंच परमेश्वर जब पुराना पंजी दिखाने की बात करते है जिसमें हिसाब रहता है तो वह दिखाने से साफ मना करती है।

ग्रामीणों ने तबादला कर की जांच की मांग
सरपंच षटकोण ने बताया कि इनकी शिकायत करते वे थक चुके हैं। लेकिन किसी भी प्रकार से कार्रवाई न होने से इनका हौसला बुलंद है। इनके ऊपर कार्रवाई करते हुए स्थानांतरण कर जांच करने की मांग ग्रामवासियो ने किया है। ईधर बेलटुकरी के सरपंच पुराणिक साहू से इस सचिव के दोहरे चार्ज में होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होने बताया कि सप्ताह में 2-3 दिन बेलटुकरी पंचायत आती है। वे करीब 11 बजे आती है और 3 बजे चली जाती है। बाकी दिनो के बारे में उन्हें कुछ भी नही मालूम।

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