ट्रैफिक से बेहाल दो शहर: सकरी सड़कों से आवागमन बदहाल, लोगों को करना पड़ रहा है दिक्क्तों का सामना

बदहाल ट्रैफिक
श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। दो जिले गरियाबंद और रायपुर के बीच महानदी की आड़ में दो शहर राजिम और नवापारा है। दोनो शहर में ट्रैफिक का बुरा हाल है। राजिम की सड़क काफी सकरी है। इस सकरी सड़क में एक गाड़ी जा सकती है और दूसरी गाड़ी आ सकती है। यदि इनके पीछे में आप चल रहे है तो शहर के आऊटर में ही आपको साइड मिल पाएगा। तब तक आपको धैर्य रखना पड़ेगा। मतलब महासमुंद मार्ग पर कृषि ऊपज मंडी और ईधर गरियाबंद मार्ग पर चौबेबांधा तिराहा के बाद ही साइड मिलेगा।
बात यदि रायपुर मार्ग की करे तो सांई मंदिर से पीछे चलते हुए कम से कम दो किलोमीटर बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू पुल, नदी क्रास करने के बाद मैडम चौक, चंपारण चौक, नवापारा बस स्टेण्ड से लेकर 3 किमी कुर्रा गांव तक साइड मिलने के बारे में सोचिये ही मत कमोवेश यही हाल नवापारा के कुर्रा गांव से लेकर राजिम के चौबेबांधा मार्ग तक रहता है। इस तीन किलोमीटर के दायरे में दुपहिया से लेकर छोटी-बड़ी गाड़ियो का इस कदर सड़को पर दबाव रहता है कि कब कहां पर दुर्घटना हो जाए, कहा नही जा सकता। हर गाड़ी रफ्तार में रहती है।

बनी रहती हैं दुर्घटना की संभावनाएं
चौक-चौराहो और कैचीफांस रोड तथा तिराहो पर भी तेज चलने वाली गाड़ियों की गति कम नही होती। ऊपर से तुर्रा यह कि सुबह 6 बजे से लेकर 11 बजे तक कम से कम 50 रेत भरे ट्रेक्टर पूरे सड़क भर इस कदर जानलेवा रफ्तार में दौड़ते है कि कहीं पर भी बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी होती है। एक तो ट्रेक्टर का ब्र्रेक मौके पर लगता नही ऊपर से रफ्तार। जितने भी ट्रेक्टर है सब आसपास के गांव के। इनके चालक भी नौसीखिए। लेफ्ट-राइट , बाएं-दाएं का ज्ञान नही अथवा जानबूझकर ईधर से उधर काटते हुए निकालते है। इस पर किसी का नियंत्रण नही है।
ट्रैफिक का होता है बुरा हाल
ईधर सड़क तक लोग अपने व्यापार-व्यवसाय को रखते है। गाड़ियो को साइड लेने के लिए जगह नही मिलता। राजिम के फारेस्ट नाका से लेकर पंडित सुंदरलाल शर्मा चौक और आगे गोवर्धन पारा चौक तक ट्रेफिक का बहुत ही बुरा हाल रहता है। सकरी सड़क होने के कारण पुलिस भी आखिर करे तो करे क्या? राजिम की सड़को का चौड़ीकरण यदि निकट भविष्य में नही हुआ तो आने वाले समय में सारे लोगो को परेशानियां झेलने के लिए मजबूर ही रहना होगा। हर कोई चाहता है कि सड़क का चौड़ीकरण हो। राजिम धर्मनगरी होने के साथ-साथ पर्यटन क्षेत्र भी है लिहाजा रोज कई हजारो की संख्या में जिस हिसाब से लोगो का आना-जाना है उसी हिसाब से गाड़ियो का अंबार भी लगता है। बात यदि नवापारा शहर की करे तो यहां कुर्रा से लेकर महानदी पुल तक चौड़ीकरण का काम हुआ जरूर है मगर आधा-अधुरा रोड डिवाइडर बनाया गया है मगर उसमें न तो रैलिंग लगाया गया है और न ही पेड़-पौधे।
डिवाइडर पर बैठते हैं लावारिस मवेशी
परिणाम यह है कि ये डिवाइडर लावारिश मवेशियो के बैठने का काम आ रहा है और आसपास के लोगो के लिए कचरा फेंकने का। चौड़ीकरण हुए साल भर से ज्यादा का समय बीत चुका है मगर रोड डिवाइडर का खस्ताहाल संबंधित विभाग के अफसरो के लापरवाही को उजागर करता है। आखिर इस पर रेलिंग और पेड़-पौधे क्यो नही लगाया जा रहा है? जबकि चौड़ीकरण के लिए स्वीकृत 29 करोड़ की राशि में ये भी शामिल है। इस विभाग के अधिकारी रायपुर में रहते है इसलिए नवापारा शहर के दर्द से उन्हें कोई वास्ता नही है। आखिर ऐसा कब तक चलेगा? समझ से परे है। विभागीय अफसरो की मनमानी इतनी है कि इस 3 किमी के मार्ग में एक भी जगह स्पीड ब्रेकर नही बनवाया है। शायद सबको हजम कर गए है। स्थानीय निवासी इस गंभीर समस्या को झेलते हुए विभागीय अफसरो का कई बार ध्यान आकर्षित किए मगर उनके कानो में जूं तक नही रेंग रही।
