महानदी बौराई: भारी बारिश और डेम से पानी छोड़े जाने का असर दिखने लगा राजिम के पास

मूसलाधार बारिश से उफनाई महानदी
श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहलाने वाली नगरी राजिम के पास महानदी एक बार फिर से बौरा गई है। यहां का दृश्य समुद्र जैसा लग रहा है। नजारा देखने के लिए तट पर लोग पहुंचे हुए हैं। ये हालात पिछले 16 घंटे से हो रही अनवरत मूसलाधार बारिश और सिकासार जलाशय से 50 हजार क्यूसेक छोड़े गए पानी की वजह से हुआ है।
उल्लेखनीय है कि, यहां तीन नदियां एक साथ मिलती हैं। पैरी, सोंढुर और महानदी राजिम से आगे बढ़ने पर इसे महानदी कहा जाता है। राजिम में कुलेश्वर मंदिर के नीचे इन तीनो नदी का आपस में मिलन काफी रोमांचित करता है। नदी के दोनो पाट से खड़े होकर देखने पर समुद्र जैसा नजारा दिखता है। तीन जिले गरियाबंद, धमतरी और रायपुर के ठीक बीच में ये नदी है, लिहाजा तीनो जिलों को आपस में जोड़ने के लिए इन नदियों में तीन वृहद पुल बने हुए हैं। इनमें पंडित जवाहर लाल नेहरू पुल, बेलाही घाट पुल और परसवानी पुल के नाम से जाने जाते हैं।

पुल पर से दिखाई देता है विहंगम नजारा
इन तीनो पुल में खड़े होकर नदी को देखने पर दृश्य काफी वृहंगम नजर आता है। पानी का फै लाव नदी के आट-पाट तक बना हुआ है। नदी के बीच में भोलेनाथ कुलेश्वरनाथ महादेव का मंदिर है। भरी बरसात और ऊफनते हुए नदी में भी दर्शन करने में कोई रूकावट नही है। लक्ष्मण झूला राजिम के एक छोर से दूसरे छोर लोमष ऋषि आश्रम तक बना हुआ है। दोनो साइड से भोलेनाथ के भक्त आसानी के साथ मंदिर पहुंचकर दर्शन और पूजा करते हैं।
राजिम-नवापारा शहर के लिए खतरा नहीं
बहरहाल नदी में चाहे कितनो ही बाढ़ आ जाए पर दोनो तटवर्ती शहर राजिम एवं नवापारा को किसी भी प्रकार से कोई नुकसान या जन-धन की हानि नहीं होती है। क्योंकि दोनो शहर की सुरक्षा के लिए बहुत ही मजबूत दोनो तरफ तटबंध और सीढ़ी बने हुए हैं। बता दें कि, पैरी एवं महानदी के मिलन स्थल पर चार एनिकट बने हुए हैं। चारो एनिकट के ऊपर से पानी का बहाव पूरे रफ्तार में है। कुलेश्वर महादेव मंदिर का विशाल चबूतरा भी हर तरफ से बाढ़ की धार से घिरा हुआ है। हालांकि मंदिर के चबूतरे के ऊपरी भाग को छूने में धार अभी काफी नीचे है।
