केंद्रीय युनिवर्सिटी बनाने की मांग: सांसद संतोष पांडेय ने सदन में उठाया खैरागढ़ विवि का मुद्दा, जानिए इसका इतिहास

सांसद संतोष पांडेय
रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजनांदगाव के सांसद संतोष पांडेय ने सदन की चर्चा में हिस्सा लिया। जहां लोकसभा के सदन में उन्होंने खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय का मुद्दा उठाया। उन्होंने खैरागढ़ विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि, हमारे राजनांदगाव के संसदीय क्षेत्र में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय स्थित है। इस विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा वैश्विक स्तर पर है। हमारी शास्त्रीय संगीत को समर्पित यह एशिया का पहला संगीत विश्वविद्यालय है। जिसमें कत्थक, भरतनाट्यम और लोक संगीत सहित अनेक विधाओं की शिक्षा दी है। यहां विदेशी छात्र- छात्राएं अध्यनरत हैं। 14 अक्टूबर 1956 से बने इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाय।
राजनांदगाव के सांसद संतोष पांडेय ने लोकसभा के सदन में उन्होंने खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय का मुद्दा उठाया। उन्होंने खैरागढ़ विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग की है। pic.twitter.com/dx5fUMbkHD
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) December 11, 2025
खैरागढ़ रियासत के राजा और रानी ने की थी स्थापना
इस विश्वविद्यालय की स्थापना खैरागढ़ रियासत के राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह और उनकी पत्नी महारानी पद्मावती देवी ने की थी। राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह ने अपनी निजी संपत्ति को इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए दान कर दिया। और इस विश्वविद्यालय का नाम उनकी दिवंगत बेटी राजकुमारी इंदिरा देवी के नाम पर रखा गया।
विश्वविद्यालय का उद्देश्य
1. भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और ललित कलाओं को संरक्षित करना।
2. नई पीढ़ी को भारतीय कला और संस्कृति से जोड़ना।
3. विश्व स्तर पर भारतीय कला की पहचान स्थापित करना।
4. छात्रों को कला, संगीत और संस्कृति के क्षेत्र में शोध और नवाचार के अवसर प्रदान करना।
विश्वविद्यालय का विकास
1. प्रारंभ में, विश्वविद्यालय का संचालन खैरागढ़ महल में किया गया था।
2. वर्ष 1965 में इसे "राज्य विश्वविद्यालय" का दर्जा मिला।
3. विश्वविद्यालय ने समय के साथ खुद को एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक और कला शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित किया।
प्रमुख पाठ्यक्रम
1. संगीत: शास्त्रीय गायन, वाद्य संगीत (सितार, तबला, बांसुरी, वायलिन)।
2. नृत्य: कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी।
3. ललित कला: पेंटिंग, मूर्तिकला, ग्राफिक्स।
4. नाट्यकला: थिएटर और नाटक।
5. अन्य: पीएच.डी., एम.फिल., डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स।
