रायगढ़ में विशाल हिन्दू सम्मेलन: डॉ. वर्णिका शर्मा ने पंच परिवर्तन का आह्वान कर कहा- हिंदुत्व पूजा नहीं, जीवंत सभ्यता है

रायगढ़ में आयोजित विशाल हिन्दू सम्मेलन का दृश्य
रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के बेलादुला में विशाल हिन्दू सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा डॉ. वर्णिका शर्मा ने शामिल होकर हिंदुत्व, संस्कृति और समाजिक एकता पर प्रभावशाली उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मातृशक्ति और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
हिंदुत्व पूजा नहीं, जीवंत सभ्यता है
डॉ. वर्णिका शर्मा ने अपने संबोधन में स्पष्ट कहा कि, हिंदुत्व केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि एक जीवंत और व्यापक सभ्यता है। उन्होंने कहा कि हिमालय से हिंद महासागर तक फैले हिंद राष्ट्र में आचार, विचार और संस्कार एक ही धारा से जुड़े हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि धर्म संस्कार है और हिंदू एक जीवंत सभ्यता, जो तत्वों में भी ममत्व खोज लेती है।
#रायगढ़ के बेलादुला में आयोजित विशाल हिन्दू सम्मेलन में डॉ. वर्णिका शर्मा ने हिंदुत्व की व्यापक सभ्यता, पंच परिवर्तन और समाज को सशक्त बनाने पर विस्तृत उद्बोधन दिया।@RaigarhDist #HinduConference #DrVarnikaSharma pic.twitter.com/p0qaBKhwqK
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) December 30, 2025
समाज को तोड़ने वाले 'दीमकों' की पहचान जरूरी
डॉ. शर्मा ने समाज को विभाजित करने वाले तत्वों को 'दीमक' बताते हुए कहा कि समाज में क्लेश और दूरी फैलाने वाले इन तत्वों को पहचानकर हटाने की आवश्यकता है। उन्होंने चेताया कि सभ्यता बदल सकती है, लेकिन संस्कृति अमिट रहती है इसलिए संस्कृति को सुरक्षित रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
आधुनिक जीवनशैली पर टिप्पणी: ‘Pick & Choose’ संस्कृति का महत्व
डॉ. शर्मा ने कहा कि हम 'पिक एंड ड्रॉप' वाली संस्कृति के नहीं, बल्कि 'पिक एंड चूज़' वाली संस्कृति के लोग हैं जहाँ जिम्मेदारी और कर्तव्य सर्वोपरि होते हैं। उन्होंने स्वभाषा, स्वदेशी, स्वपोष और स्वबोध को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

पंच परिवर्तन के पाँच संकल्प
- पर्यावरण संरक्षण- प्रकृति, पर्यावरण और संसाधनों की रक्षा हेतु जागरूक बनने का संदेश दिया।
- नागरिक कर्तव्य- देश और समाज के प्रति जिम्मेदारियों का ईमानदारी से पालन करने का आह्वान किया।
- स्वबोध- स्वयं को पहचानना, स्वदेशी, स्वभाषा और स्वपोष अपनाने की प्रेरणा दी और कहा 'स्वभोजन का आनंद किसी अन्य भोजन में नहीं।'
- समरसता और 4R मॉडल- समरस भावना विकसित करने के साथ 4R- Reform, Recycle, Reduce, Redevelop को अपनाने की अपील की।
- कुटुंब प्रबोधन- परिवार में “मी टाइम” को “वी टाइम” में बदलने और ज्ञान को यूट्यूब नहीं, बल्कि पुरखों से सीखने की बात कही।

कार्यक्रम में सम्मान और संकल्प
उद्बोधन के बाद डॉ. वर्णिका शर्मा को पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया। सफाई मित्रों का भी विशेष रूप से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का समापन माँ भारती की आरती और एकता के सामूहिक संकल्प के साथ हुआ।
बड़ी संख्या में मातृशक्ति की उपस्थिति
कार्यक्रम में महिला समन्वय की सह संयोजिका अनुपमा गुप्ता सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे जैसे प्रकाश डडसेना, आनंद सिंह, आत्म सिंह चौहान, ज्योति देवांगन, अनुपम गुप्ता, मंजू अवस्थी, सत्य उपाध्याय, मधु मेहर, सुमन मेहता, सुशीला साव, अनीता ग्वेल, उर्मिला देवांगन, संजू साहू, रीना निषाद, सरोजनी डनसेना, कल्याणी दास, नेम देवांगन, मिथिला पटेल, गायत्री केशरवानी, सुजाता साहू, अमृता सवारियां, स्नेहा तिवारी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
