लोक सेवा पदोन्नति नियम में बदलाव: अब पांच साल का ब्योरा दिए बिना नहीं होगा प्रमोशन

File Photo
रायपुर। छत्तीसगढ़ में शासकीय सेवकों को हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा देने का नियम है, लेकिन बड़ी संख्या में अधिकारी कर्मचारी यह ब्योरा देने से बचते हैं, या समय पर नहीं देते हैं, लेकिन इस मामले में संबंधित अधिकारी-कर्मचारी प्रमोशन के समय फंसते हैं, जब उन्हें इस वजह से प्रमोशन नहीं मिलता, क्योंकि उनकी संपत्ति का ब्योरा सरकार को अप्राप्त रहता है।
इस पूरे मामले में अब राज्य सरकार ने एक नई व्यवस्था के तहत लोक सेवा पदोन्नति नियम-2003 में बड़ा बदलाव कर दिया है। अब अगर किसी अधिकारी-कर्मचारी का पांच साल का चल-अचल संपत्ति का ब्योरा नहीं होगा तो उसे डीपीसी की बैठक के बाद प्रमोशन नहीं मिलेगा।
डीपीसी की बैठक में देखा जाता है संपत्ति का ब्योरा
राज्य में शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नित के लिए विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक होती है। प्रमोशन के लिए पात्र पाए गए कर्मियों के सेवाकाल से संबंधित और गोपनीय चरित्रावली के दस्तावेज देखे जाते हैं। इन दस्तावेज में संबंधित की संपत्ति का ब्योरा होना अनिवार्य है, लेकिन कई विभागों में अक्सर यह प्रक्रिया उस समय अपनाई जाती है, जब प्रमोशन का समय आ जाता है। नियम में बदलाव से अब यह नहीं हो सकेगा। डीपीसी की बैठक में ही अगर संपत्ति का पांच साल का ब्योरा नहीं होगा तो प्रमोशन नहीं होगा।
सरकार ने नियम में किया बदलाव
राज्य सरकार ने लोक सेवा पदोन्नति नियम-2003 में बदलाव कर दिया है। अब नियम में यह जोड़ा गया है कि प्रशासकीय विभाग, विभागीय पदोन्नति समिति के समक्ष पदोन्नति के लिए विचाराधीन शासकीय सेवकों के विगत 5 वर्षों के अचल संपत्ति के वार्षिक विवरण प्राप्त या अप्राप्त होने की जानकारी प्रस्तुत करेगा। ऐसे शासकीय सेवक, जिनसे 5 वर्षों की अचल संपत्ति के पूर्ण वार्षिक विवरण प्राप्त नहीं हुए हों, के प्रकरण परिभ्रमण में विचाराधीन रखे जाएंगे तथा 5 वर्षों के पूर्ण विवरण प्राप्त हो जाने के पश्चात ही, विभागीय पदोन्नति समिति द्वारा परिभ्रमण के माध्यम से संबंधित शासकीय सेवक की पदोन्नति पर विचार किया जाएगा।
