जनजातीय गौरव दिवस: समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, बोलीं- जनजाति समाज भारत की रीढ़, इसे जीवंत रखने की जरूरत

भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करती हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
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भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करती हुईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

सरगुजा में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिरकत की। इस दौरान उन्होंने जनजातीय समाज के लोगों से मुलाक़ात की।

संतोष कश्यप- अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के सरगुजा में जनजातीय गौरव दिवस 2025 के अवसर पर भव्य समारोह का आयोजन किया गया।जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शिरकत की। इस दौरान उन्होंने जनजातीय समाज के लोगों से मुलाक़ात की। उन्होंने कहा- आदिवासी संस्कृति का विकास भारत का विकास है। हमें अपनी संस्कृति- धरोहर को जीवंत रखना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि, इन राज्यों के जनजातीय समाज की साझा विरासत और संघर्ष देश की अमूल्य धरोहर है। जनजातीय गौरव दिवस के इस आयोजन ने न सिर्फ सांस्कृतिक एकता को मजबूती दी, बल्कि यह संदेश भी दिया कि जनजातीय समाज का विकास, भारत के विकास की रीढ़ है। आदिवासी संस्कृति को मैं पहले भी जीती थी और अब भी जीती हूं, जल, जंगल और जमीन के साथ आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने की जरूरत

जनजाति समाज का इस देश में बड़ा योगदान
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि, छत्तीसगढ़ राज्य 25 साल का हो गया है। छत्तीसगढ़ के रहने वाले सभी लोगों को मैं बधाई देती हूं। भगवान बिरसा मुंडा के इस कार्यक्रम में शामिल होने और उनकी प्रतिमा में माल्यार्पण करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। अंबिकापुर में व्यापक स्तर पर 15 नवंबर से लेकर 20 नवंबर तक जनजाति गौरव दिवस मनाया गया है। जनजाति समाज का इस देश में बहुत बड़ा योगदान है।

छत्तीसगढ़- ओडिशा का संबंध रोटी और बेटी का
अंबिकापुर से ओडिशा, झारखंड 200 किलोमीटर दूर है छत्तीसगढ़ उड़ीसा सटा हुआ है। छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लोगों में रोटी और बेटी का संबंध है। छत्तीसगढ़ के लोग ओडिशा में शादी करते हैं और ओडिशा वाले छत्तीसगढ़ में शादी करते हैं ओडिशा और छत्तीसगढ़ की दोस्ती बहुत पुरानी है। झारखंड छत्तीसगढ़ झारखंड ओडिशा के जनजाति समाज की विरासत बहुत गहरी है।


मैं आज भी जनजाति समाज की परंपरा को जीती हूं
छत्तीसगढ़ के जनजाति समाज के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा को बनाए रखे हुए हैं इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देती हूं। क्योंकि अपनी संस्कृति को जीवित रखना बहुत जरूरी है। मैं भी जनजाति समाज की बेटी हूं जनजाति परिवार में जन्म लेने पर मुझे बहुत गर्व है। जनजाति समाज की परंपरा को मैं पहले भी जीती थी और अब भी जीती हूं।

आदिवासी संस्कृति को प्रमोट करने की जरुरत
आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को प्रमोट होने की जरूरत है क्योंकि यह बेहद खूबसूरत और सुंदर है। ऐसे कार्यक्रमों में मैं जब जाती हूं तो जनजाति परिवार के लोगों से मुलाकात करती हूं। जनजाति महिलाओं से मुलाकात करने पर मुझे अच्छा लगता है। स्थानीय स्तर पर भी जनजाति समाज की संस्कृति और उनके विकास को प्राथमिकता से ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, जंगल, जमीन के साथ आदिवासी संस्कृति को मजबूत करने के लिए काम करने की जरूरत है।


जल- जंगल- जमीन को बचाना प्राथमिकता
15 से 20 नवंबर तक चले इस भव्य आयोजन में जनजातीय संस्कृति की झलक देखने को मिली। राष्ट्रपति ने जनजातीय महिलाओं से मुलाकात की और कहा कि, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल- जंगल- जमीन के साथ-साथ संस्कृति को भी प्राथमिकता देने की जरूरत है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रपति के आगमन को छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का क्षण बताया। उन्होंने कहा कि ,नक्सल पीड़ितों से राष्ट्रपति की मुलाकात ने उन्हें नई उम्मीद दी है।


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