बीईओ कार्यालय में अटका पेंशन: गुजारे के लिए रिटायर्ड प्रधान पाठक को करनी पड़ रही मजदूरी

अधिकारियों की लापरवाही से एक रिटायर्ड प्रधानपाठक को करनी पड़ रही मजदूरी
अंबिकापुर। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से एक रिटायर्ड प्रधानपाठक को अपनी जीविका चलाने के लिए निर्माण कार्यों में मजदूरी करनी पड़ रही है। रिटायर होने के बाद प्रधानपाठक को विभाग से जो राशि मिली उसे बेटों ने हड़प लिया। प्रधानपाठक ने पेंशन के लिए छह महीने तक बीईओ कार्यालय का चक्कर लगाया लेकिन अधिकारी प्रधानपाठक से 25 हजार रुपए देने के बाद ही पेंशन प्रकरण बनाने की बात पर अड़ गए। मजबूरी में रिटायर्ड प्रधान पाठक को अपने भरण-पोषण के लिए पिछले डेढ़ साल से मजदूरी करनी पड़ रही है। शासन द्वारा विकासखंड ओड़गी अंतर्गत दूरस्थ ग्राम इंदरपुर निवासी सुखलाल सिंह गोड़ आ. स्व. नानबुड़ा की नियुक्ति वर्ष 1995 में शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के पद पर की गई थी। प्रशासन द्वारा विकासखण्ड ओड़गी अंतर्गत प्राथमिक शाला खरहरी जोर में उनको पदस्थ किया गया था।
संविलयन उपरांत वर्ष 2018 में सहायक शिक्षक को उसी शाला में प्रधानपाठक पद पर पदोन्नत कर दिया गया। शासकीय नौकरी मिलने के बाद प्रधानपाठक अपनी पारिवारिक स्थिति सुधारने की लगातार कोशिशें करता रहा। उसने अपने दो बेटों को शिक्षित बनाने की भी जीतोड़ कोशिशें की लेकिन बेटे अपने पिता के वेतन की राशि से मौज करते रहे। वर्ष 2018 नवंबर में अर्धवार्षिकी आयु पूरी होने पर सुखलाल सिंह रिटायर हो गए। विभाग द्वारा उन्हें एनपीएस की कटौती राशि से 3.70 लाख का तत्काल भुगतान कर दिया गया। बेटों को जैसे ही रिटायर्ड पिता को लाखों रूपए मिलने की जानकारी मिली रोजी-रोजगार के लिए ट्रैक्टर खरीदने का दबाव डालने लगे। बेटों का दबाव इतना अधिक बढ़ गया कि सुखलाल सिंह को तत्काल एनपीएस की राशि से ट्रैक्टर खरीदना पड़ा। ट्रैक्टर खरीदने के बाद दोनों बेटे माता-पिता को छोड़कर अलग हो गए तथा पांच एकड़ पुस्तैनी जमीन को भी हथिया ली। बेटों के अलग होने के बाद सुखलाल सिंह के पास भरण-पोषण के लिए सिर्फ पेंशन का सहारा था।
बेटों ने दी मात्र 50 डिसमिल जमीन
रिटायर्ड प्रधान पाठक सुखलाल सिंह ने बताया कि, बेटों ने उसे 50 डिसमिल जमीन दी है जिसमें सिर्फ धान की थोड़ी सी फसल होती है। इस फसल से दो पति-पत्नी का गुजारा नहीं होता। जीविका चलाने के लिए अब मजदूरी करने की मजबूरी है।
दिया है 10 दिन का समय
सूरजपुर डीईओ अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि, मुझे आपसे मामले की सूचना मिली है। कार्यालय की यह बड़ी लापरवाही है। मामले को लेकर मैनें बीईओ को कड़ी फटकार लगाई है तथा रिटायर्ड प्रधानपाठक का पेंशन प्रकरण स्वीकृत करने 10 दिन का अल्टिमेटम दिया है। पेंशन शासकीय कर्मचारी का अधिकार है इसके लिए किसी को भी पैसे देने की जरूरत नहीं है।
बीईओ कार्यालय में सभी दस्तावेज
अधिकारियों की लापरवाही के कारण शासकीय सेवकों को ही पेंशन के लिए वर्षों भटकना पड़ रहा है। विकासखण्ड ओड़गी में ऐसे एक दर्जन से अधिक प्रकरण सालों से लंबित पड़े हैं। शिक्षकों के सभी दस्तावेज का संधारण बीईओ कार्यालय करता है।
