छत्तीसगढ़ के अंतिम गांव तक जाने वाली बस सेवा बंद: बारिश-बाढ़ से पहिये थमे, 200 किमी की दूरी तय कर पहुंच रहे लोग

बीजापुर जिले के अंतिम छोर से पामेड़ तक चलने वाली बस बंद
महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले के अंतिम छोर से पामेड़ तक 30 साल बाद यात्री बस शुरू हुई थी। इसी बीच बस्तर में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने बस की रफ़्तार रोक दी है। इस रास्ते में बस सेवा 15 दिन से यह बस बंद है जिसके कारण इसका संचालन अब बासागुड़ा तक हो रहा है। जिले का आखिरी गांव पामेड़, जिला मुख्यालय से काफी दूर है वहीं अब पहले की तरह ही पामेड़ पहुंचने में लगभग 200 किलोमीटर अधिक जाना पड़ रहा है।
यह बस पामेड़ सहित सात पंचायतों से होकर गुजरती थी।आवापल्ली, बासागुड़ा, तर्रेम, चिन्नागेल्लूर, गुंडेम, कोंडापल्ली, जीडपल्ली, करवगट्टा और धर्मारम होते हुए पामेड़ पहुंचती थी। इसमें रोजाना बड़ी संख्या में यात्री सफर करने लगे थे। बस से पामेड़ क्षेत्र के लगभग एक दर्जन गांव बीजापुर मुख्यालय से कनेक्ट हो गया था, पर 25 - 26 अगस्त को भारी बारिश और कच्ची सड़क होने से 15 दिन से यह बस बंद हो गया है। यह बस वर्तमान में बासागुड़ा तक ही चल रही है। बताया जा रहा है कि बीजापुर जिले का आखिरी गांव पामेड़, बीजापुर से अंदर तक पहुंच से दूर है, बस शुरू होने से पहले तेलंगाना के रास्ते पामेड़ पहुंचने में लगभग 200 किलोमीटर अधिक जाना पड़ रहा है।

बारिश में बस चलना मुश्किल
बीजापुर से पामेड़ जाने वाली बस के चालक ने बताया कि बीजापुर से बासागुड़ा तक बस पहुंच रही है। उसके बाद कोंडापल्ली, जिदपल्ली, पामेड़, तर्रेम, चिन्नाबेलूर मार्ग की सड़क कच्ची होने से बारिश में बस चलना मुश्किल है, जहां बस चलने से सड़क में ही बस के पहिए फंसने की संभावना रहती है।
सड़क का निर्माण कार्य जारी
लोक निर्माण विभाग जगदलपुर जोन के मुख्य अभियंता जीआर रावटे ने बताया कि बार्डर रोड आर्गनाइजेशन (बीआरओ) की ओर से कोंडापल्ली-जिदपल्ली-पामेड़ तक 26 किमी एवं तर्रेम-चिन्नाबेलूर तक 17 किमी सड़क का निर्माण किया जा रहा है।
7 पंचायतों में बहेगी विकास कार्यों की बयार
यह इलाका बीजापुर और तेलंगाना की सीमा पर बसा पामेड़ समेत इलाके के 7 पंचायतों का क्षेत्र है। यहां अब यहां सड़क और कैंप के साथ ही मूलभूत सुविधाओं का विस्तार कर दिया जा रहा है, जिससे स्थानीय ग्रामीण नक्सलवाद के दंश से हटकर सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ ले सकें। हाल ही में खोले गए सुरक्षा बलों के शिविरों से नियाद नेल्लनार योजना के तहत पहचाने गए अधिकांश गांव इस मार्ग पर पड़ते हैं और सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं की शुरूआत होने से ये गांव पहली बार बीजापुर मुख्यालय से जुड़ जाएंगे।
