बिजली बिल में अभी सेस से राहत नहीं: नया कोयला खरीदी के बाद ही मिलेगा लाभ

बिजली बिल में अभी सेस से राहत नहीं : नया कोयला खरीदी के बाद ही मिलेगा लाभ
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कोयले पर लगने वाला सेस केंद्र सरकार ने समाप्त कर दिया है। इसके स्थान पर जीएसटी लगेगा। ऐसे में बिजली बिल में लगने वाला प्रति यूनिट 10 पैसे का सेस समाप्त होना है।

रायपुर। कोयले पर लगने वाला सेस केंद्र सरकार ने समाप्त कर दिया है। इसके स्थान पर जीएसटी लगेगा। ऐसे में बिजली बिल में लगने वाला प्रति यूनिट 10 पैसे का सेस समाप्त होना है। छत्तीसगढ़ राज्य पॉवर कंपनी ने सेस समाप्त होने पर बिजली बिल में 12 पैसों तक की राहत की भी बात कही है, लेकिन फिलहाल यह राहत सितंबर के बिल में नहीं मिली है। अक्टूबर के बिल में भी इसके मिलने की संभावना कम है। पॉवर कंपनी के बिजली उत्पादन संयंत्रों में एक से डेढ़ माह के कोयले का स्टॉक रहता है। पॉवर कंपनी के अधिकारियों का कहना है कोयले का नया स्टॉक आने के बाद ही सेस समाप्त हो सकेगा।

प्रदेश भर के 65 लाख से ज्यादा बिजली उपभोक्ताओं को बिजली बिल में प्रति यूनिट पर दस पैसे सेस लगते हैं। अब इस सेस से राहत मिलने का रास्ता खुल गया है। केंद्र सरकार ने कोयले पर लगने वाला सेस समाप्त कर दिया है। अब आने वाले समय में बिजली बिल के साथ दस पैसे लगने वाला सेस समाप्त हो जाएगा। लेकिन इसको समाप्त होने में थोड़ा समय लगेगा। सेस को 22 सितंबर से समाप्त किया गया है क्योंकि जीएसटी के नए स्लैब 22 सितंबर से लागू हुए हैं। कोयले को भी जीएसटी के दायरे में लाया गया।है।

नवंबर में नए कोयले की खपत होगी, तो सेस होगा समाप्त
पॉवर कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि अभी पॉवर कंपनी के बिजली उत्पादन संयंत्र में कोयले का पुराना स्टॉक है। वैसे भी सितंबर में 22 तारीख से कोयले को जीएसटी के दायरे में लाया गया तो सितंबर के बिल में सेस के समाप्त होने का सवाल ही नहीं है। अक्टूबर में भी सेस समाप्त होने की संभावना कम है क्योंकि कम से कम एक माह तक तो कोयले का पुराना स्टॉक चलेगा ही। इसके बाद नवंबर में जब नए कोयले की खपत होगी तो सेस समाप्त होगा।

एफपीपीएएस का डबल झटका
बिजली की उत्पादन लागत में जो अंतर आता है, उसकी वसूली एफपीपीएएस शुल्क से की जाती है। सितंबर में इस शुल्क का उपभोक्ताओं को डबल झटका लगा है क्योंकि बीते माह का 7.10 फीसदी शुल्क लेने के साथ इस माह का 2.46 फीसदी शुल्क भी वसूला गया है। अब अक्टूबर के बिल में जहां बचा सात फीसदी शुल्क लिया जाएगा, वहीं नए माह का तय शुल्क भी लिया जाएगा। ऐसे में नवंबर में जो अक्टूबर का बिल आएगा, उसमें भी डबल झटका लगेगा।

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