पूवर्ती में हिड़मा का अंतिम संस्कार: पहनाई गई काली पैंट- शर्ट, पत्नी राजे को लाल जोड़े में सजाया गया, एक ही चिता पर दी गई मुखाग्नि

हिड़मा और उसकी पत्नी राजे का पूवर्ती गांव में किया गया अंतिम संस्कार
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हिड़मा और उसकी पत्नी राजे का पूवर्ती गांव में किया गया अंतिम संस्कार

मुठभेड़ में मारे गए नक्सली हिड़मा और उसकी पत्नी राजे का पूवर्ती गांव में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान अंतिम विदाई देने के लिए ग्रामीणों का जनसैलाब उमड़ा।

गणेश मिश्रा- बीजापुर। छत्तीसगढ़- आंध्र प्रदेश बॉर्डर पर हुए मुठभेड़ में मारे गए नक्सली माड़वी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे का गुरुवार को पूवर्ती गांव में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान ग्रामीण रीति- रिवाज़ के साथ दोनों को अंतिम विदाई दी गई जिसमें आस- पास के लोगों का जनसैलाब देखने को मिला। अंतिम विदाई के दौरान हिडमा के शव पर काली पैंट- शर्ट डाली गई। वहीं उनकी पत्नी राजे के शव को लाल जोड़े से सजाया गया।

सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में हिड़मा और उसकी पत्नी राजे की अंतिम यात्रा निकाली गई। शवयात्रा के आस- पास के क्षेत्र के ग्रामीण पहुंचे हुए थे जो रोते हुए दिखाई दिए। इसके बाद गांव के ही जंगल में हिडमा और राजे को एक ही चिता पर मुखाग्नि दी गई। वहीं माड़वी हिड़मा को अंतिम विदाई देने के लिए आदिवासी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी उसके घर पहुंची इस दौरान वह हिडमा के शव से लिपटकर रोती- बिलखती हुई नजर आई।

जानिए कौन था हिड़मा
हिड़मा का जन्म दक्षिण सुकमा के पूर्वती गांव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था। वह महज 16 साल की उम्र में ही नक्सल संगठन से जुड़कर काम करने लगा। इसी दौरान उसने नक्सलियों के एजुकेशन सिस्टम और कल्चरल कमेटी से उसने पढ़ना- लिखना और गाना- बजाना तक सीखा। इसके बाद ट्रेनिंग पूरी होते ही उसकी पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के गढ़चिरौली इलाके में हुई।

सबसे युवा सेंट्रल कमेटी मेंबर था हिडमा
हिडमा सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य था। नक्सल संगठन में काम करते- करते वह नक्सलियों के खतरनाक चेहरों में शामिल हो गया। हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PGLA) की बटालियन-1 का चीफ और माओवादी स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZ) का भी सदस्य था। वह सीपीआई (माओवादी) की 21 सदस्यीय सेंट्रल कमेटी में भी शामिल था।

रमन्ना की मौत के बाद बना शीर्ष कमांडर
हिड़मा कई बड़े नक्सल घटनाओं में सीधे तौर पर शामिल रहा है। इनमें झीरम, बीजापुर और बुर्कापाल हमले का नेतृत्व भी हिडमा ने ही किया था। वहीं दंतेवाड़ा हमला भी हिडमा के नेतृत्व में हुआ था इस हमले में 76 जवान शहीद हुए थे। इस हमले के बाद से संगठन में हिडमा की हैसियत बढ़ गई। कहा जाता है कि, 2019 में रमन्ना की मौत के बाद हिडमा को नक्सलियों का शीर्ष कमांडर बना दिया गया था।

इन बड़े हमलों का मास्टर माइंड था हिडमा

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धर्माराम शिविर में हमला

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