धुर नक्सल इलाके में खुशियों की बयार: डेढ़ दशक बाद जगरगुंडा में रास- गरबा का हुआ आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों से सजी शाम

रास गरबा
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जगरगुंडा में डेढ़ दशक बाद रास गरबा का हुआ आयोजन

जगरगुंडा में डेढ़ दशक बाद रामलीला और रास- गरबा का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर ग्रामीणों ने मिलकर मातारानी की पूजा कर नवरात्र पर्व मनाया।

लीलाधर राठी- सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र जगरगुंडा में डेढ़ दशक बाद रामलीला और रास- गरबा का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर ग्रामवासियों ने मिलकर मातारानी की पूजा- अर्चना कर भंडारे का आयोजन किया। पूरे नवरात्र के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों, भक्ति गीतों और सामाजिक मेलजोल का माहौल रहा। ग्रामीणों ने कहा कि, वर्षों बाद जगरगुंडा ने ऐसा उल्लास देखा है मानो भय के अंधेरे को भक्ति की रोशनी ने मिटा दिया हो।

इतिहास में पहली बार जगरगुंडा में रामलीला और रास- गरबा का आयोजन किया गया यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम था बल्कि जगरगुंडा के सामाजिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन गया। सरपंच नित्या कोसमा ने स्वयं महिलाओं और छात्राओं को गरबा का प्रशिक्षण दिया और देर रात तक चले इस आयोजन में सबको शामिल किया।


अब जगरगुंडा में डर नहीं, विकास की गूंज है
जगरगुंडा में नई सड़कें, पुल-पुलिया और सरकारी योजनाओं की पहुंच से विकास की नई सुबह हो चुकी है। अब यह क्षेत्र तीन जिलों को जोड़ने वाला महत्त्वपूर्ण संपर्क बिंदु बन रहा है। स्कूलों में बच्चों की आवाज़ें गूंजती हैं, बिजली की रौशनी से घर जगमगाते हैं, और लोग फिर से तीज-त्योहार मनाने लगे हैं। जगरगुंडा पंचायत की महिलाओं ने बताया कि पहले जहां शाम होते ही घरों के दरवाजे बंद हो जाते थे, वहीं अब रात में संगीत और ताल की गूंज सुनाई देती है। ग्रामीणों ने सरपंच नित्या कोसमा का आभार जताते हुए अगले वर्ष इसे और भी भव्य रूप में मनाने की बात कही।


बुनियादी सुविधाएँ पहुंच रहीं
2006 के बाद सलवा जुडूम अभियान के चलते यहां का सामाजिक जीवन लगभग ठहर गया था। न तो सड़कें थीं, न बिजली, न स्वास्थ्य सेवाएँ। चारों ओर सुरक्षा घेरे और कंटीले तारों से घिरा यह इलाका एक समय प्रवेश वर्जित क्षेत्र माना जाता था। लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। शासन-प्रशासन की निरंतर कोशिशों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सक्रियता से जगरगुंडा में फिर से रौनक लौट आई है। सड़के, पुल-पुलिया और अन्य बुनियादी सुविधाएँ अब इस क्षेत्र को तीन जिलों से जोड़ रही हैं।

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