नारायणपुर अस्पताल में जांच सेवाएं ठप: अभिकर्मक की कमी से मरीजों की बढ़ी मुश्किलें

नारायणपुर जिला अस्पताल लैब में जांच सेवाएं ठप
इमरान खान - नारायणपुर। जिला अस्पताल नारायणपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। अभिकर्मक (Reagent) की आपूर्ति घटने से अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग में अधिकांश जांचें बंद हो चुकी हैं। अब यहां केवल हीमोग्लोबिन, सिकलिंग, ब्लड ग्रुप और यूरिन टेस्ट जैसी कुछ सीमित जांचें ही की जा रही हैं।
100 से घटकर 10 जांचों तक सीमित सेवाएं
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, पहले यहां प्रतिदिन 100 से अधिक प्रकार की जांचें की जाती थीं, लेकिन अब यह संख्या घटकर केवल 8 से 10 जांचों तक सिमट गई है। सीजीएमएससी (CGMSC) और जिला प्रशासन द्वारा अभिकर्मक की समय पर आपूर्ति नहीं किए जाने से स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
गरीब और आदिवासी मरीजों पर पड़ा सीधा असर
इस स्थिति का सबसे अधिक नुकसान गरीब और आदिवासी मरीजों को उठाना पड़ रहा है। सरकारी अस्पताल में जांच न हो पाने के कारण उन्हें मजबूरन निजी पैथोलॉजी केंद्रों का रुख करना पड़ रहा है, जहां जांच के लिए महंगी फीस वसूली जा रही है। इससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच गरीब वर्ग के लिए और मुश्किल हो गई है। स्थानीय मरीजों का कहना है कि, पहले अस्पताल में सब जांचें होती थीं, अब डॉक्टर बाहर भेज देते हैं जहाँ हमें 500-600 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
डॉक्टरों का वेतन और भत्ता भी लंबित
अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ का मनोबल भी लगातार गिर रहा है। जानकारी के अनुसार, जिले के कई डॉक्टरों का 10 महीनों से वेतन और नक्सल प्रोत्साहन भत्ता लंबित है। एक ओर मरीजों को दवाएं और जांच की सुविधा नहीं मिल रही, वहीं दूसरी ओर डॉक्टर अपने अधिकारों से वंचित हैं।
प्रशासनिक लापरवाही और नीतिगत विफलता
इन हालातों ने नारायणपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था की वास्तविक तस्वीर उजागर कर दी है। यह सवाल अब गंभीर होता जा रहा है कि सरकारी फंड और योजनाएं आखिर जा कहां रही हैं? नारायणपुर जैसे संवेदनशील और आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की यह दुर्दशा न केवल प्रशासनिक लापरवाही, बल्कि नीतिगत विफलता को भी उजागर करती है।
जनता की जान पर भारी पड़ रही है लापरवाही
जहां सरकार 'हर घर स्वास्थ्य' का नारा देती है, वहीं नारायणपुर में मरीजों को बुनियादी जांच के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। यह स्थिति प्रशासन और शासन के बीच संचार और समन्वय की कमी को स्पष्ट रूप से दर्शाती है, जिसका सीधा असर जनता की जान और स्वास्थ्य सुरक्षा पर पड़ रहा है।
