ओजस फॉर्म में अध्ययन भ्रमण: मखाना खेती का नया मॉडल बना छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के किसानों ने आरंग में सीखे ‘काले हीरे’ के गुर

प्रशिक्षण में शामिल हुए लोगों की तस्वीर
गोपी कश्यप- नगरी। धान के कटोरे कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में अब सुपर फूड मखाना (काला हीरा) नई पहचान बना रहा है। आधुनिक तकनीक और नवाचार के साथ हो रही इसकी खेती किसानों के लिए लाभकारी विकल्प बनकर उभर रही है। छत्तीसगढ़ में मखाना का प्रथम व्यवसायिक उत्पादन आरंग ब्लॉक के ग्राम लिंगाडीह में स्व. कृष्ण कुमार चंद्राकर द्वारा शुरू किया गया था। यहीं 5 दिसंबर 2021 को राज्य के पहले मखाना प्रसंस्करण केंद्र का उद्घाटन हुआ, जिसके बाद आरंग मखाना उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया।
इसी क्रम में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से आए 30 किसानों के दल ने उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में आरंग स्थित ओजस फॉर्म का भ्रमण किया। किसानों ने खेत-स्तर पर उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और विपणन तक की संपूर्ण जानकारी प्राप्त की और अपने अनुभव साझा किए।

मखाना की खेती में 20 किलो बीज पर्याप्त
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर ने बताया कि, मखाना की खेती में प्रति एकड़ लगभग 20 किलो बीज पर्याप्त होता है और औसतन 10 क्विंटल उत्पादन मिल सकता है। यह 6 माह की फसल है, जिसमें कीट-व्याधि का प्रकोप नहीं के बराबर होता है और चोरी की समस्या भी नहीं रहती। इससे लागत घटती है और जोखिम कम होता है।
1 किलो मखाना बीज से 200-250 ग्राम पॉप प्राप्त
मखाना प्रोसेसिंग विशेषज्ञ रोहित साहनी (दरभंगा, बिहार) ने बताया कि, 1 किलो मखाना बीज से 200-250 ग्राम पॉप प्राप्त होता है, जिसकी बाजार कीमत 700 रुपये से 1000 रुपये प्रति किलो तक है। यदि किसान स्वयं प्रोसेसिंग व पैकेजिंग करें, तो प्रति एकड़ अधिकतम लाभ संभव है।

किसानों ने व्यावहारिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की
ओजस फॉर्म के प्रबंधक संजय नामदेव ने जलवायु, मिट्टी, तालाब प्रबंधन और प्रशिक्षण सुविधाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन और संसाधन सहायता उपलब्ध कराई जाती है। वहीं शिव साहू से किसानों ने व्यावहारिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की और खेती अपनाने की तत्परता जताई।
आर्थिक सशक्तिकरण का मजबूत मॉडल
उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि, मखाना बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और सब्सिडी जैसी योजनाएं संचालित हैं। भ्रमण दल में शामिल म.प्र. उद्यानिकी विभाग (सिवनी) के अधिकारियों ने सहायक संचालक आशा उपवंशी के निर्देशन में कहा कि, किसान मखाना खेती को अपने क्षेत्रों में अपनाने के लिए उत्साहित हैं। यह आर्थिक सशक्तिकरण का मजबूत मॉडल साबित हो सकता है।
