पांडुका में भव्य विसर्जन झांकी: 12 पंडालों की प्रतिमाएं एक साथ निकली, उमड़ा आस्था का जनसैलाब

पांडुका में निकली भव्य विसर्जन झांकी
श्याम किशोर शर्मा- राजिम। राजिम क्षेत्र के पांडुका गांव में धूमधाम के साथ ज्योति कलश और माता की मूर्तियों का विसर्जन किया गया। इस अवसर पर विजयादशमी दशहरा के दिन 12 पंडालो में बैठी मां दुर्गा के मूर्तियों की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। ग्रामवासी ढोलक की थाप पर नाचते- गाते हुए मातारानी को बिदाई देने के लिए उमड़ पड़े। यहां हर साल सभी पंडालों के समिति वाले मूर्तियों को भ्रमण कराते हुए गांधी चौक में इकट्ठा होते है। यह नजर देखने में बेहद सुन्दर होता है।
गांव में इस साल 12 पंडालो में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई थी। परंपरा के अनुसार, दशमी के दिन भव्य झांकी एक साथ निकाली गई। इस दौरान बस्ती की महिलाओं ने मातारानी की पूजा- अर्चना कर श्रृंगार अर्पित किया। यह परंपरा गरियाबंद जिला ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में इसे जाना जाता है। पहले के जमाने में विसर्जन के बाद शाम को गांधी चौक में रावण वध का कार्यक्रम रखा जाता था। परंतु अब ऐसा देखने में नहीं आता।

लाइन से विसर्जन के लिए निकलती है मूर्तियां
दशमी को यहां धूमधाम से विसर्जन उत्सव मनाया जाता है। सभी मूर्तियां पहले गांधी चौक पर इकठ्ठा होती है उसके बाद एक- एक करके तालाब की ओर प्रस्थान करती है। फिर आखिरी बार मातारानी की आरती उतारकर विसर्जन की प्रक्रिया शुरू की जाती है। शाम तक यह सिलसिला चलता रहता है।
रामलीला के उम्दा कलाकारों को गया है निधन
यहां ग्लोब ड्रामा कंपनी काफी विख्यात था। यहां के कलाकार भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता, रावण, सुग्रीव, बाली,अंगद और हनुमान जी महाराज की भूमिका एकदम हुबहु करते थे। रावण वध देखने के लिए कई हजारों की भीड़ यहां पर जुटती थी। गांव के लोगों ने बताया कि, नाटक कंपनी के ज्यादातर कलाकार अब नहीं रहे लिहाजा यहां नाटक अब संभव नहीं है। भगवान श्रीराम का रोल अदा करने वाले खोवालाल शर्मा का भी निधन हो। वहीं गरजते हुए हुबहु रावण की भूमिका अदा करने वाले श्रीपत राव ब्रम्हभट्ट भी परलोक सिधार गए हैं। बाली और सुग्रीव का रोल अदा करने वाले बुधराम देवांगन और भुखन साहू भी नहीं है। जिसके कारण रामलीला का भव्य मंचन नहीं हो पाया।

