आतंकियों के सम्पर्क में नाबालिग: उत्तेजक वीडियो गेम के माध्यम से ब्रेनवाश कर किया अपने वश में

आतंकियों के सम्पर्क में नाबालिग :  उत्तेजक वीडियो गेम के माध्यम से ब्रेनवाश कर किया अपने वश में
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File Photo 

सोशल मीडिया के माध्यम से आईएसआईएस पाक माड्यूल से जुड़े किशोरों के पिछले चार-पांच वर्ष से संपर्क में थे।

रायपुर। सोशल मीडिया के माध्यम से आईएसआईएस पाक माड्यूल से जुड़े किशोरों के पिछले चार-पांच वर्ष से संपर्क में थे। एटीएस के अफसरों के अनुसार इस तरह आतंकी संगठनों द्वारा बच्चों को वश में कर ब्रेन वाश करना रेयर केस है। बच्चों को आतंकी बनने प्रेरित करने की घटनाएं पूर्व में जम्मू कश्मीर को छोड़ किसी अन्य राज्य में देखने को नहीं मिली है। जम्मू कश्मीर के बाद छत्तीसगढ़ में इस तरह की पहली घटना है, जिसमें आतंकियों ने बच्चों को टार्गेट किया है।

जानकारी के मुताबिक, एटीएस ने जिन दो किशोरों को आतंकी संगठन के संपर्क होने के आरोप में पकड़ा है, वो दोनों आपस में दोस्त हैं। दोनों भिलाई के रहने वाले हैं। एक लड़का पिछले वर्ष अपने परिजनों के साथ रायपुर में शिफ्ट हुआ है। सूत्रों के मुताबिक सोशल मीडिया गेम खेलते हुए दोनों किशोर आतंकियों के संपर्क में आए। इसके बाद आतंकियों ने बच्चों को झांसे में लेने अलग-अलग फेक आईडी से संपर्क कर देश विरोधी गतिविधि में शामिल होने प्रेरित किया। बच्चों को अपने वश में करने के लिए आतंकियों ने सोशल मीडिया इंस्टाग्राम के माध्यम से बच्चों को उत्तेजक तथा हिंसक गेम भेजकर डाउनलोड कराया। इसके बाद आतंकी संगठन से जुड़े लोगों ने गेम के माध्यम से काफिरों का कैसे सफाया करना है, काफिरों को मारने प्रताड़ित करने से सवाब मिलने के भ्रम में बच्चों को फंसा चुके थे।

इनक्रिप्टेड, डार्क वेब की जानकारी
आतंकी संगठन ने जिस मंसूबे से अपने झांसे में लिया था, देश के खुफिया तंत्र को इस बात की भनक नहीं लगे, इसके लिए पाक माड्यूल के आतंकी दोनों बच्चों को ऐसे इनक्रिप्टेड साइट था डार्क वेब के बारे में चैट के माध्यम से पूरी तरह से ट्रेंड कर चुके थे। दोनों बच्चे डार्क वेब तथा इनक्रिप्टेड साइट के माध्यम से आतंकियों के लगातार संपर्क में थे।

परिजनों को जानकारी नहीं
छात्रों के परिजनों को अपने बच्चों के आतंकियों से जुड़े होने की जानकारी नहीं है। बच्चों को उनके परिजनों ने पढ़ाई की तैयारी के लिए लैपटॉप तथा मोबाइल खरीद कर दिया था। आतंकी संगठन ने दोनों लड़कों को उनसे जुड़े होने की जानकारी किसी के साथ शेयर नहीं करने के लिए कहा था।

ट्रेनिंग के अंतिम चरण में पहुंच चुके थे
खुफिया सूत्रों के मुताबिक दोनों बच्चे आतंकियों के संपर्क में चार-पास साल रहने के बाद पूरी तरह ट्रेंड हो चुके थे। साथ ही दोनों काफी एरोगेंट हो गए थे। संसाधन मिलने पर किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते थे। पाक माड्यूल के आतंकी संगठन दोनों बच्चों को घटना को अंजाम देने प्रेरित करने लगे थे। साथ ही उनके मन में भारत के प्रति पूरी तरह से जहर भर दिया गया था।

सौ से ज्यादा लड़कों का बना चुके थे ग्रुप
सूत्रों के अनुसार दोनों किशोर आतंकी संगठन के इशारे पर सौ से ज्यादा लड़कों का ग्रुप बना चुके थे। जिन लोगों का दोनों ने ग्रुप बनाया था, एटीएस उनके बारे में जानकारी जुटा रही है। ग्रुप में शामिल लड़के छत्तीसगढ़ के साथ और किन राज्यों के लोग जुड़े हैं, एटीएस इसकी जानकारी जुटा रही है।

पूछताछ के बाद टार्गेट में लिया
सूत्रों के मुताबिक दोनों लड़कों की सोशल मीडिया में संदिग्ध गतिविधि मिलने पर एटीएस करीब दो वर्ष पूर्व पूछताछ कर चुकी है। इसके बाद एटीएस ने दोनों लड़कों की सोशल मीडिया के साथ उनकी गतिविधियों की निगरानी बढ़ा दी थी। एटीएस के पूछताछ करने के बाद दोनों लड़के काफी सावधनी बरतने लगे। इसके बाद दोनों लड़के ऐसे इनक्रिप्टेड साइड जिसे जांच एजेंसी ट्रेस न कर सके, उस साइट के माध्यम से आतंकियों के संपर्क में थे। तकनीकी साक्ष्य जुटाने के बाद एटीएस ने दोनों किशोरों के इनक्रिप्टेड साइट को क्रेक कर पकड़ा है।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान संपर्क में थे
आतंकियों के खिलाफ मई में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दोनों लड़के आतंकियों के संपर्क में थे। आतंकियों के कहने पर दोनों लड़कों ने ऑपरेशन सिंदूर के समय जिस क्षेत्र में सुरक्षाबलों का मूवमेंट था उसके साथ वार से जुड़े सैनिकों को मूवमेंट की जानकारी दी। मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दोनों किशोरों ने जानकारी तैयार कर आतंकियों तक पहुंचाने का काम किया।

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