मंत्रालय बायोमेट्रिक सिस्टम से लैस: कलेक्टोरेट में मोबाइल एप से अटेंडेस, सर्वर डाउन से कर्मचारी परेशान

मंत्रालय बायोमेट्रिक सिस्टम से लैस : कलेक्टोरेट में मोबाइल एप से अटेंडेस, सर्वर डाउन से कर्मचारी परेशान
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सरकारी कामकाज में सख्ती और पारदर्शी बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने मंत्रालय में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम एक दिसंबर से लागू कर दिया है।

रायपुर। सरकारी कामकाज में सख्ती और पारदर्शी बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने मंत्रालय में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम एक दिसंबर से लागू कर दिया है। इसके बाद से मंत्रालय में अधिकारी-कर्मचारियों का अटेंडेंस बायोमेट्रिक सिस्टम से होने लगा है। इधर राजधानी रायपुर के कलेक्टोरेट के सभी विभागों के दफ्तरों में भी अब बायोमेट्रिक सिस्टम लगाने की मांग उठने लगी है। कलेक्टोरेट में वर्तमान में मोबाइल एप तथा अधीक्षक के कमरे में रखे कम्प्यूटर सिस्टम के माध्यम से कर्मचारियों की अटेंडेंस लग रही है। ये दोनों सुविधा होने के अटेंडेंस लग रही है।

ये दोनों सुविधा होने के बाद भी कई अधिकारी-कर्मचारी जहां लेट से दफ्तर पहुंच रहे हैं, वहीं कई कर्मचारियों के ड्यूटी टाइम से 5 से 10 मिनट पूर्व पहुंचने के बाद भी उनका अटेंडेंस समय पर लग नहीं पा रहा है। इसका कारण मोबाइल डाटा सर्वर का लो होना है। कलेक्टोरेट के दफ्तरों में डॉटा सर्वर लो होने से मोबाइल एप के माध्यम से अटेंडेंस लगाने में कर्मचारियों को दिक्कत हो रही है, जिससे समय पर पहुंचने के बाद भी अटेंडेंस रिकार्ड में लेटलतीफी शो कर रहा है।

मोबाइल से नहीं होने पर अधीक्षक के कमरे में जाकर लगानी पड़ती है अटेंडेंस
नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ विभागों के कर्मचारियों ने बताया कि नेट सर्वर के कारण कभी-कभी मोबाइल एप में लाइव फोटो अपलोड नहीं हो पाती है, जिसके कारण उन्हें अधीक्षक के कक्ष में लगे कम्प्यूटर सिस्टम में जाकर अटेंडेंस लगानी पड़ती है। वहां भी अटेंडेंस लगाने में 5 मिनट से अधिक समय लग जाता है। तब तक ड्यूटी टाइम में पहुंचने का समय भी खत्म हो जाता है और अटेंडेंस में लेट से आना रिकार्ड हो जाता है।

दिनभर रहती है सर्वर की समस्या
कलेक्टोरेट के ज्यादातर विभागों के कलेक्टोरेट के ज्यादातर विभागों के दफ्तरों के अंदर सर्वर की समस्या है। प्रशासन के निर्देश के अनुसार कर्मचारियों को दफ्तर पहुंचने के बाद अपने स्थान (कुर्सी) पर बैठकर लाइव फोटो को मोबाइल एप में अपलोड कर अपनी अटेंडेंस लगाना है। यह लाइव फोटो ही कर्मचारियों के ड्यूटी समय पर पहुंचने का प्रमाण है, लेकिन कलेक्टोरेट के दफ्तरों के अंदर नेट सर्वर की समस्या है। इसके कारण दफ्तर के अंदर लाइव फोटो को मोबाइल एप में अपलोड करने में बहुत परेशानी होती है। यह समस्या दिनभर बनी रहती है।

दफ्तर के बाहर बायोमेट्रिक सिस्टम लगाना चाहिए
कर्मचारियों ने हरिभूमि से बातचीत में कहा कि ड्यूटी में आने-जाने के समय पर सख्ती करने के लिए मोबाइल एप और कम्प्यूटर सिस्टम लगाया गया है, लेकिन इन दोनों सुविधा से कर्मचारियों को परेशानी हो रही है। सर्वर समस्या के कारण समय पर दफ्तर पहुंचने के बाद भी लेट से आना रिकार्ड हो रहा है, वहीं मोबाइल से अटेंडेंस नहीं होने पर एक मंजिल-दो मंजिल उतरकर अधीक्षक के कमरे में दौड़कर जाना पड़ रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि सभी विभागों के दफ्तरों के बाहर बायोमेट्रिक सिस्टम लगाना चाहिए, ताकि कर्मचारी समय रहते अटेंडेंस लगा पाएं और अधीक्षक के कमरे में जाना नहीं पड़े।

10-12 साल पहले लगा था बायोमेट्रिक सिस्टम
कलेक्टोरेट के कुछ सीनियर कर्मचारियों ने बताया कि 10 से 12 साल पहले कलेक्टोरेट में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाने का प्रयास किया गया था। इसके लिए अधीक्षक के कमरे में करीब एक महीने तक सिस्टम भी लगा था, लेकिन कई कर्मचारियों के उंगलियों के निशान स्कैन नहीं होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था।

लेटलतीफी को सुधारने लाया गया मोबाइल एप
कलेक्टोरेट के विभागों में अधिकारी-कर्मचारियों की लेटलतीफी को सुधारने के उद्देश्य से मोबाइल एप लाया गया है, लेकिन यह एप अब कई कर्मचारियों के लिए ही परेशानी का सबब बन रहा है। खासकर समय पर ड्यूटी पहुंचने वालों के लिए यह एप समस्या का कारण बन रहा है, क्योंकि इसके कारण कर्मचारी समय पर पहुंचने के बाद भी लेटलतीफी का शिकार बन रहे हैं।

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