15 हजार करोड़ के घाटे में मार्कफेड: सहकारी कर्मचारियों को नहीं मिलेगा इंसेंटिव अलाउंस, उठे विरोध के स्वर

एसोसिएशन ने कहा- गलत और हास्यास्पद
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अपेक्स बैंक और जिला सहकारी बैंक के कर्मचारियों को तत्काल करें एक्सग्रेशिया का भुगतान

राज्य सरकार के सहकारिता विभाग ने आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक, सहकारी संस्थाएं से कहा- इस स्थिति को देखते हुए कर्मियों को इनसेंटिव अलाउंस नहीं दिया जा सकता है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मार्कफेड को 15 हजार करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है। राज्य सरकार के सहकारिता विभाग ने आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक, सहकारी संस्थाएं से कहा है कि, इस स्थिति को देखते हुए कर्मियों को इनसेंटिव अलाउंस (एक्सग्रेसिया) नहीं दिया जा सकता है। दूसरी ओर सहकारी बैंकिग सेक्टर के संगठन ने इस पर कहा है कि, सरकार का यह निर्णय गलत और हास्यस्पद है।

सहकारिता विभाग ने कही ये बात
सहकारिता विभाग ने पंजीयक सहकारी संस्थाएं को भेजे गए एक पत्र में वित्त विभाग की टीप का उल्लेख करते हुए कहा है कि विभागीय प्रस्ताव पर लेख है कि मार्कफेड निरंतर घाटे में चल रहा है तथा इसकी संचित हानि 15 हजार करोड़ से अधिक (वर्ष 2024-25 तक) है।

इसी प्रकार राज्य एवं जिला सहकारी बैंक को भी राज्य शासन द्वारा वैद्यनाथन समिति की अनुशंसाओं के अनुरूप राज्य की अंशपूंजी बढ़ाकर चलाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में इनके कर्मचारियों को इंसेंटिव अलाउंस स्वीकृत करने का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता। वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में भी कर्मचारियों को बोनस अथवा इंसेंटिव देने का कोई प्रावधान नहीं है।

ये गलत और हास्यास्पद : व्यास
इस संबंध में सहकारी बैंकिग सेक्टर के संगठन आल इंडिया सहकारी बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपमहासचिव एवं छत्तीसगढ़ को-ऑपरेटिव एम्प्लाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रप्रकाश व्यास का कहना है कि सरकार का यह तर्क गलत और हास्यास्पद है। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री व अन्य संबंधितों को पत्र जारी किया है। उनका कहना है कि विपणन संघ एवं अपेक्स बैंक व जिला सहकारी बैंकों को एक ही श्रेणी में रखा जाना पूर्णतः गलत है।

अधिकतम अंशपूंजी 25 प्रतिशत से नहीं हो सकती अधिक
यहां हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि प्रो. ए. वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिश में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि अपेक्स बैंक व जिला सहकारी बैंकों में राज्य शासन की अधिकतम अंशपूंजी 25 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती, जबकि वास्तव में अपेक्स बैंक व अन्य जिला बैंकों में राज्य शासन की अंश पूंजी की अनुमानतः उपरोक्त वर्णित सीमा से काफी कम है।

मुख्यमंत्री से किया आग्रह
ऐसी स्थिति में राज्य शासन के सहकारिता विभाग की यह सोच कि राज्य शासन के अंश के भरोसे अपेक्स बैंक या जिला सहकारी बैंक चल रहे हैं, पूर्णतः हास्यास्पद के साथ-साथ गलत है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि अपेक्स बैंक व जिला सहकारी बैंक के कर्मचारियों को तत्काल एक्सग्रेशिया का भुगतान संबंधी आदेश पंजीयक सहकारी संस्था को देने बाबत निर्देशित करें, ताकि कर्मचारियों में बढ़ रहे आक्रोश को रोका जा सके।

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