हड़ताल अवैध, धरनास्थल से हटाए गए कर्मचारी: अनिवार्य सेवा अधिनियम लागू होने से रद्द हुई अनुमति

सहकारी समिति के कर्मचारी
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आंदोलनरत सहकारी समिति के कर्मचारी

मंडी प्रांगण में आंदोलनरत सहकारी समिति कर्मियों और ऑपरेटरों को एसडीएम हटा दिया गया। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुशील मौर्य बोले- सरकार और जिला प्रशासन का यह तुगलकी फरमान है।

अनिल सामंत- जगदलपुर। सहकारी समितियों और कंप्यूटर परिचालक संघ के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर तीन नवम्बर से कृषि उपज मंडी प्रांगण में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे थे। शासन ने इस हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए अनिवार्य सेवा अधिनियम लागू कर दिया।

इसके बाद बुधवार को तहसील कार्यालय में जिला प्रशासन ने प्रतिनिधियों से चर्चा कर हड़ताल समाप्त करने के निर्देश दिए थे। किन्तु गुरुवार को भी जब कर्मचारियों ने हड़ताल समाप्त नहीं की तो जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए कृषि उपज मंडी प्रांगण में धरना–प्रदर्शन की अनुमति तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी तथा प्रदर्शन स्थल खाली करने को कहा। सूचना मिलते ही उपखण्ड अधिकारी(एसडीएम) ऋषिकेश तिवारी मंडी प्रांगण पहुँचे, जहाँ हड़ताली कर्मचारियों और प्रशासन के बीच तनाव की स्थिति बन गई।


कांग्रेसी भी पहुंचे धरनास्थल
प्रदर्शन स्थल खाली करवाने की कार्रवाई की जानकारी मिलने पर कांग्रेस के पदाधिकारी भी कांग्रेस शहर जिलाध्यक्ष सुशील मौर्य के नेतृत्व में मंडी प्रांगण पहुँचे। उन्होंने कहा कि अनिवार्य सेवा अधिनियम का उपयोग कर कर्मचारियों को बलपूर्वक हटाया जाना उनके मूल अधिकारों का हनन है। मौर्य ने कहा कि मंडी प्रांगण नगर निगम और शासन द्वारा प्रस्तावित धरना–प्रदर्शन स्थल है,ऐसे में कर्मचारियों को यहाँ से हटाना जिला प्रशासन का तुगलकी आदेश है।

हड़ताल को अमान्य कर दिया है : एसडीएम
उपखण्ड अधिकारी (एसडीएम) ऋषिकेश तिवारी ने बताया कि, शासन ने अनिवार्य सेवा अधिनियम लागू कर हड़ताल को अमान्य कर दिया है, इसलिए आंदोलनकारियों को मिली अनुमति स्वतः ही निरस्त हो गई। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को पूर्व में भी मंडी प्रांगण खाली करने के निर्देश दिए गए थे,परंतु आदेश का पालन न करने पर आज उन्हें स्थल हटाने पहुँचना पड़ा।


हड़ताल से धान खरीदी कार्य प्रभावित
इधर सहकारी समितियों और कंप्यूटर ऑपरेटर संघ की हड़ताल का खामियाजा किसानों को भी उठाना पड़ रहा है। पखनागुड़ा के किसान एंटी मंगाराजू ने बताया कि वह तीन दिनों से ग्राम सेवा सहकारी संस्था के चक्कर लगा रहे हैं।संस्था में बैठाए गए नए कर्मचारी न तो रकबा निकाल पा रहे हैं,न विवरण,और न ही किसान का परिचय पत्र निकाल पा रहे हैं।

संस्था में न टोकन की व्यवस्था है और न हमाल उपलब्ध हैं, जिससे किसानों का धान बाहर फड़ में पड़ा रह गया है। उन्होंने बताया कि, वह पिछले आठ वर्षों से इसी संस्था में धान बेचते आ रहे हैं,उनका पंजीयन भी हो चुका है,फिर भी नया कर्मचारी उनका नाम तक नहीं निकाल पा रहा। इसी समस्या को लेकर वह आज तहसीलदार को शिकायत दर्ज कराने पहुँचे हैं।

हमारी जायज मांगों पर शासन गम्भीर नहीं : सेठिया
सहकारी समिति कर्मचारी कल्याण संघ के संभाग अध्यक्ष उत्तम सेठिया के अनुसार कर्मचारियों की जायज मांगो को लेकर शासन गम्भीर नही है। हम तो पिछले कुछ वर्षों से केवल इतना ही कह रहे धान का सुखत, ऑपरेटरों को 6 माह के बदले सालभर का वेतन दिया जाय,जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के रिक्त पदों पर 50 प्रतिशत सहकारी समितियों के कर्मचारियों को भर्ती,मध्यप्रदेश की तर्ज पर छग में भी प्रबंधकीय अनुदान के रूप में प्रत्येक समिति को 3 लाख रुपये का प्रावधान किया जाए।

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