पत्रकार रईस अहमद हत्याकांड: कोर्ट ने पत्नी और प्रेमी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

पत्रकार रईस अहमद हत्याकांड : कोर्ट ने पत्नी और प्रेमी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा
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इन्होने की थी पत्रकार रईस अहमद की हत्या 

पत्रकार रईस अहमद हत्याकांड मामले में अदालत ने पत्नी और उसके प्रेमी साथी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

प्रविन्द सिंह- मनेन्द्रगढ़। छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले के सिटी कोतवाली थाना मनेन्द्रगढ़ अंतर्गत ग्राम पंचायत चनवारीडांड में 16 मई 2024 को घटित चर्चित पत्रकार रईस अहमद हत्याकांड में अदालत ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। न्यायालय ने इस जघन्य अपराध में शामिल पत्नी और उसके प्रेमी साथी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

दरसअल, 16 मई 2024 की रात पत्रकार रईस अहमद की हत्या उनके ही घर में की गई थी। प्रारंभिक जांच में यह घटना एक सामान्य हत्या प्रतीत हो रही थी लेकिन पुलिस की गहन विवेचना के बाद खुलासा हुआ कि यह एक पूर्व नियोजित साजिश थी। पुलिस जांच में सामने आया कि रईस अहमद की पत्नी ने अपने प्रेमी और एक विधि से संघर्षरत किशोर के साथ मिलकर पति की हत्या की योजना बनाई थी। पत्नी और प्रेमी के बीच अवैध संबंध थे जिसकी जानकारी रईस अहमद को हो चुकी थी। यही कारण था कि दोनों ने उन्हें रास्ते से हटाने की साजिश रची।

कैसे हुई थी हत्या की वारदात
हत्या की रात जब रईस अहमद घर लौटे और भोजन कर सोने चले गये तब पूर्वनियोजित योजना के तहत पत्नी के इशारे पर प्रेमी और नाबालिग साथी ने मिलकर धारदार हथियार से उन पर हमला कर दिया। गंभीर चोटें लगने के कारण रईस अहमद की मौत मौके पर ही हो गई।

पुलिस विवेचना और गिरफ्तारियाँ
घटना के बाद सिटी कोतवाली पुलिस मनेंद्रगढ़ ने इसे गंभीरता से लिया। पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में विशेष जांच दल गठित की गई। पूछताछ के दौरान पत्नी का व्यवहार संदिग्ध पाया गया और जब उससे सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने अपराध स्वीकार करते हुए पूरे षड्यंत्र का खुलासा किया। पुलिस ने पत्नी, उसके प्रेमी और किशोर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया था।

अभियोजन पक्ष के तर्क और साक्ष्य
अभियोजन पक्ष ने अदालत में यह तर्क दिया कि हत्या पूरी तरह पूर्व नियोजित और षड्यंत्रपूर्ण थी। अभियोजन ने विवेचना के दौरान प्राप्त रक्तरंजित हथियार, मोबाइल कॉल डिटेल्स, गवाहों के बयान और फॉरेंसिक रिपोर्ट के माध्यम से अपराध सिद्ध किया। अभियोजन ने कहा कि यह अपराध समाज में भय और असुरक्षा का माहौल उत्पन्न करता है। अतः कठोर दंड आवश्यक है।

अब आया न्यायालय का निर्णय
सभी साक्ष्यों और गवाहियों का अवलोकन करने के बाद प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार तिवारी ने माना कि अभियोजन पक्ष ने अपराध को संदेह से परे सिद्ध किया है। अदालत ने आरोपी पत्नी और प्रेमी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) एवं 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है वहीं विधि से संघर्षरत किशोर का मामला बाल न्याय बोर्ड को भेज दिया गया है।

न्याय की जीत, परिवार और पत्रकार समुदाय ने किया स्वागत
निर्णय सुनाए जाने के बाद रईस अहमद के परिजनों और स्थानीय पत्रकार समुदाय ने अदालत के फैसले का स्वागत किया। पत्रकार साथियों ने कहा कि यह निर्णय सच्चे न्याय और निष्पक्ष विवेचना की जीत है जिससे समाज में यह संदेश जाएगा कि अपराध कितना भी योजनाबद्ध क्यों न हो, न्याय से बचा नहीं जा सकता।

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