मनेंद्रगढ़ में अनूठी पहल: पलाश के पेड़ों से बदल रही ग्रामीणों की तस्वीर, हरित क्रांति से जुड़ रहे लोग

पेड़ से लाख निकालते हुए लोग
रविकांत सिंह राजपूत- मनेंद्रगढ़। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ वनमंडल में एक नई पहल से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक दी गई है। जहां पहले पलाश यानी परसा के पेड़ सिर्फ खेतों की मेड़ों की शोभा बढ़ाते थे, अब वही बन गए हैं किसानों की अतिरिक्त आमदनी का जरिया। डीएफओ मनीष कश्यप की अनूठी पहल के तहत अब इन पेड़ों पर लाख पालन हो रहा है। सैकड़ों ग्रामीण जुड़ इस हरित क्रांति से चुके हैं। चलिए आपको दिखाते हैं कैसे मनेंद्रगढ़ बना रहा है पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक मॉडल जिला।
छत्तीसगढ़ में पलाश के पेड़ हर गांव-खेत में आम हैं। इन्हीं पेड़ों पर रंगीनी लाख पाई जाती है जो महंगी औद्योगिक रेज़िन के रूप में देशभर में इस्तेमाल होती है। लेकिन लंबे समय से इन पेड़ों का व्यावसायिक उपयोग नहीं हो पा रहा था। अब मनेंद्रगढ़ वनमंडल ने इसे किसानों की आय का जरिया बना दिया है। पिछले दो सालों में वनमंडल ने चरणबद्ध तरीके से लाख पालन का विस्तार किया।
मनेंद्रगढ़ वनमंडल में डीएफओ मनीष कश्यप की अनूठी पहल के तहत अब इन पेड़ों पर लाख पालन हो रहा है। सैकड़ों ग्रामीण जुड़ इस हरित क्रांति से चुके हैं। pic.twitter.com/OQTlNYWWDs
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) November 6, 2025
योजना से जुड़ रहे किसान
वर्ष 2023 में जहां महज़ 34 कृषक जुड़े थे, वहीं अब 400 किसान 37 गांवों में लाख उत्पादन कर रहे हैं। कुल 6 हजार पलाश पेड़ों में 60 क्विंटल बीहन लाख डाला गया और खास बात ये कि पूरा बीहन स्थानीय किसानों ने ही तैयार किया है। योजना का असर दिखने भी लगा है। पहले चरण के किसानों को अब अच्छा मुनाफा हो रहा है। भौता समिति के किसान सर्वजीत सिंह ने 45 पेड़ों में लाख पालन कर दो साल में 58 हजार रुपए का शुद्ध लाभ कमाया। वहीं नारायणपुर के किसान उदयनारायण को सिर्फ एक साल में 22 हजार 500 रुपए का फायदा हुआ।

हर वर्ष इस उत्पादन को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य- डीएफओ
डीएफओ मनीष कश्यप का कहना है कि हर वर्ष इस उत्पादन को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य है। अगले साल तक लाख पालन पूरे जिले के किसानों तक पहुंच जाएगा। अगर यही रफ्तार रही तो मनेंद्रगढ़ जल्द ही पूरे छत्तीसगढ़ ही नहीं, देशभर को बीहन लाख की सप्लाई कर सकेगा।
