फूड प्रोसेसिंग यूनिट के लिए बड़ा ऐलान: स्थानीय लोगों को नौकरी की शर्त पर मंडी शुल्क में मिलेगी पांच करोड़ तक की छूट

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी इकाइयों को अब कृषि मंडी शुल्क में पांच करोड़ रुपए तक की छूट मिल सकती है, लेकिन शर्त ये है कि राज्य के मूल निवासियों को स्थायी नियोजन में अकुशल कर्मचारियों, श्रमिकों के मामलों में 100 प्रतिशत कुशल कर्मचारियों के मामले में न्यूनतम 70 प्रतिशत तथा प्रशासकीय या प्रबंधकीय कर्मचारियों के मामले में न्यूनतम 40 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध कराए जाने पर ही अनुदान की पात्रता होगी।
अब बनाया गया ये नियम
विद्यमान उद्योग में, जिन्होंने 1 नवम्बर, 2019 के पूर्व वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ किया हो, इनके विस्तार पर ये नियम लागू होगा। यानि ऐसे उद्योग, जिन्होंने 2019 को अथवा उसके पश्चात् विद्यमान उद्योग में वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ करने के दिन तक प्लांट एवं मशीनरी में मान्य निवेशित राशि के न्यूनतम 25 प्रतिशत राशि का अतिरिक्त निवेश किया हो, जिससे उद्योग विभाग में पंजीकृत क्षमता वा औसत उत्पादन (जो अधिक हो) में न्यूनतम 25 प्रतिशत की वृद्धि होती हो एवं कुल रोजगार में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती हो। इसके अतिरिक्त विस्तारित क्षमता के उत्पादन प्रारंभकरने की कालावधि वाणिज्य एवं उद्योग विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समय-समय पर जारी औद्योगिक नीति के अनुसार हो। विस्तारीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ करने के पूर्व विद्यमान इकाई को सक्षम अधिकारी (जिसने इकाई को उत्पादन प्रमाण पत्र जारी किया हो) इस बाबत सूचना देकर विस्तार के लिए प्रस्तावित निवेश की निर्धारित मात्रा के लिए पूर्वानुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
ये है मामला
राज्य सरकार के कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग ने यह बदलाव करने के लिए राज्य की कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) उद्योग नीति 2012 के अंतर्गत मंडी शुल्क में छूट नियम 2014 में संशोधन किया है।
इन्हें मिलेगी मंडी शुल्क से छूट
वाणिज्य एवं उद्योग विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समय-समय पर जारी औद्योगिक नीति की कालावधि तक वाणिज्यिक उत्पादन प्रारम्भ करने वाले कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की श्रेणी में आने वाले (औद्योगिक नीति के अनुसार वर्णित अपात्र उद्योगों को छोड़कर) समस्त नवीन उद्योगों की स्थापना एवं विद्यमान उद्योगों के विस्तार या प्रतिस्थापन, शवलीकरण अंतर्गत स्थापित औद्योगिक इकाईयों को मण्डी शुल्क से छूट प्राप्त होगी।
स्थानीय को रोजगार देने पर मिलेगा अनुदान
नए नियम में कहा गया है कि, इकाई को छूट प्रमाण पत्र जारी दिनांक में न्यूनतम पांच वर्षों तक कार्यरत रखना होगा तथा उक्त अवधि में राज्य के मूल निवासियों को स्थायी नियोजन में अकुशल कर्मचारियों या श्रमिकों के मामलों में 100 प्रतिशत कुशल कर्मचारियों के मामले में न्यूनतम 70 प्रतिशत तथा प्रशासकीय या प्रबंधकीय कर्मचारियों के मामले में न्यूनतम 40 प्रतिशत रोजगार उपलब्ध कराए जाने पर ही अनुदान की पात्रता होगी।
पांच करोड़ तक की मिलेगी छूट
नियम में कहा गया है कि मण्डी शुल्क से छूट की पात्रता इन्हें होगी। पात्र उद्योगों को प्रथम कच्चा मान कय अथवा प्रमाण पत्र जारी होने के दिनांक, जो भी पश्चातवर्ती हो, से 5 वर्ष तक के लिये कृषि उत्पादों पर लगने वाले मंडी शुल्क से पूर्ण छूट, अधिकतम राशि रु. 5 करोड़ प्रतिवर्ष की सीमा तक प्रदान की जायेगी, साथ ही छूट की कुल अधिकतम सीमा इकाई द्वारा किये गये स्थायी पूंजी निवेश के 75 प्रतिशत से अधिक नहीं, की कुल अधिकतम सीमा इकाई द्वारा किये गये स्थायी पूंजी निवेश के 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
इन वर्गों को और अधिक छूट
राज्य के अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला उद्यमी, भारतीय सेना से सेवानिवृत्त राज्य के सैनिक, सेवानिवृत्त राज्य के अग्निवीर सैनिक एवं नक्सलवाद से प्रभावित व्यक्ति या परिवार एवं निःशक्तजनों, अप्रवासी भारतीय, प्रत्यक्ष विदेशी निवेशकों (एफडीआई) निर्यातक उद्यमों तथा विदेशी तकनीक के साथ परियोजनाएं स्थापित उद्योगों के लिए छूट की अवधि 6 वर्ष तक होगी। कृषि उत्पादों पर लगने वाले मंडी शुल्क से पूर्ण छूट, अधिकतम राशि 5.50 करोड़ प्रतिवर्ष की सीमा तक प्रदान की जायेगी, साथ ही छूट की कुल अधिकतम सीमा इकाई द्वारा किये गये स्थायी पूंजी निवेश के 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
