भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर व्याख्यान: जनजातीय गौरव दिवस पर वीर नायकों के संघर्षों को किया गया याद

भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर व्याख्यान : जनजातीय गौरव दिवस पर वीर नायकों के संघर्षों को किया गया याद
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भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर किया गया व्याख्यान 

जगदलपुर के शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर एक दिवसीय विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ।

अनिल सामंत- जगदलपुर। शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर एक दिवसीय विशेष व्याख्यान का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता यज्ञ सिंह, विभाग प्रचारक, मध्य बस्तर, डॉ पियूष रंजन साहू, क्षेत्रीय मानव सर्वेक्षण, भारत सरकार और बस्तर उपस्थित रहे।

कुलपति प्रो मनोज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले एक वर्ष से केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा मनाया जा रहा जनजातीय गौरव दिवस युवाओं में आदिवासी महापुरुषों के प्रति गौरव, चेतना और प्रेरणा जागृत कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की जनजातीय परंपरा साहस,त्याग और संस्कृति-संरक्षण का प्रतीक रही है। महानायक अपने समाज की अस्मिता बचाने के लिए संघर्षरत रहे और इसी चेतना ने उन्हें दिव्य व्यक्तित्व बनाया।


मुख्य वक्ता ने आदिवासी समाज की एकता पर डाला प्रकाश
मुख्य वक्ता यज्ञ सिंह ने भगवान बिरसा मुंडा को धरती आबा कहते हुए कहा कि वही सच में जीते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं। उन्होंने संथाल विद्रोह, मानगढ़ की शहादत और आदिवासी समाज की एकता की शक्तितू मैं एक रक्त पर प्रकाश डाला। उन्होंने युवाओं को समाज व राष्ट्रहित में समर्पण की प्रेरणा दी। डॉ पियूष रंजन साहू ने कहा कि महानायकों के विचारों को उनके जीवनकाल में समझना अधिक आवश्यक है। बिरसा मुंडा ने अंग्रेजी अत्याचारों के विरुद्ध कई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिन्होंने जनजातीय समाज को दिशा दी। उन्होंने कहा कि आज भी अनेक अनाम आदिवासी नायक हैं,जिनके योगदान पर शोध होना चाहिए,तभी जनजातीय गौरव दिवस का उद्देश्य पूर्ण होगा।

ऐसे व्याख्यानो से विद्यार्थियों को मिलती है प्रेरणा
डॉ सुकृता तिर्की ने स्वागत भाषण में कहा कि ऐसे व्याख्यान विद्यार्थियों को संघर्ष और बलिदान की वास्तविक प्रेरणा प्रदान करते हैं। डॉ सोहन मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि इस प्रकार के आयोजन विश्वविद्यालय के बौद्धिक वातावरण को सशक्त करते हैं। संचालन डॉ गायत्री सोनी ने किया। कार्यक्रम में प्राध्यापक,शोधार्थी,शिक्षक एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।


धरती आबा बिरसा मुंडा संघर्ष, चेतना और गर्व की प्रतीक
भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय समाज के सर्वोच्च जननायक माने जाते हैं। ब्रिटिश अत्याचारों के विरुद्ध उनके उलगुलान आंदोलन ने आदिवासी अस्मिता को नई दिशा दी। उनका जीवन समाज-सेवा, साहस और बलिदान का अनुपम उदाहरण है। वे केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि संस्कृति-संरक्षण, सामाजिक सुधार और जनजागरण के महान प्रेरणास्रोत थे। आज उनका विचार समाज और संस्कृति की रक्षा ही सच्ची स्वतंत्रता है,युवा पीढ़ी को सदैव मार्गदर्शन प्रदान करता है।

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