जांच में सहयोग नहीं कर रहा सूदखोर तोमर: पांच मोबाइल मिले, दो दजर्न से ज्यादा सिम का उपयोग किया

Shark Tomar Not Cooperating Investigation
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सूदखोर वीरेंद्र तोमर का जुलूस निकालती हुई पुलिस

सूदखोर विरेंद्र तोमर की पुलिस ने सोमवार को कोर्ट में पेश कर पांच दिनों की पुलिस रिमांड 14 नवंबर तक लिया है।

रायपुर। सूदखोर विरेंद्र तोमर की पुलिस ने सोमवार को कोर्ट में पेश कर पांच दिनों की पुलिस रिमांड 14 नवंबर तक लिया है। पुलिस पूछताछ में वीरेंद्र तोमर किसी प्रकार से सहयोग नहीं कर रहा। पुलिस ने वीरेंद्र तोमर के कब्जे से पांच मोबाइल जब्त किया है। इसके साथ ही सूदखोर वीरेंद्र द्वारा फरारी के दौरान फर्जी नामों से दो दर्जन से ज्यादा सिम कार्ड इस्तेमाल करने की पुलिस को जानकारी मिली है।

पूछताछ में वीरेंद्र ने पुलिस को हरिभान बताया है कि, फरारी के दौरान शुरू में दोनों भाई एक साथ रहे। इसके बाद पकड़े जाने के भय से दोनों भाई एक दूसरे से अलग हो गए। फरारी के दौरान सूदखोर भाइयों को किन लोगों से मदद मिलती थी, पुलिस इस बात की जानकारी जुटाने की बात कह रही है। फरारी के दौरान वीरेंद्र तोमर पैसों की कहां से व्यवस्था करता था। इस बात की जानकारी पुलिस को अब तक नहीं मिल पाई है।


करोड़पतियों की कालोनी में छिपा था सूदखोर
विंडसर हिल्स टाउनशिप ग्वालियर की पॉश और हाई सिक्योरिटी कालोनी मानी जाती है, जहां करोड़ों रुपए के फ्लैट हैं। यहां नेताओं, अफसरों और बड़े व्यापारियों के घर हैं। सवाल उठ रहा है कि इतनी महंगी कालोनी में तोमर कैसे और किसके माध्यम से रह रहा था। माना जा रहा है कि तोमर को मदद करने कई प्रभावशाली लोगों की भूमिका सामने आ सकती है।

15 दिन में जगह बदल देता था
पुलिस को चकमा देने तोमर 15 दिन में जगह बदल देता था। फरारी के दौरान विरेंद्र तोमर मध्यप्रदेश के आलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली में रहा है। पूछताछ में वीरेंद्र ने पुलिस को बताया है कि उसका अपने छोटे भाई के साथ पिछले दो महीने से संपर्क नहीं हुआ है।

परिजनों के लगातार संपर्क में
पुलिस को जानकारी मिली है, उसके मुताबिक वीरेंद्र रायपुर में अपने परिजनों के साथ वकील तथा अन्य लोगों के संपर्क में था। संपर्क करने वह अलग-अलग सिम कार्ड का इस्तेमाल करता था। तोमर को उसके परिजन तथा करीबी उसके खिलाफ हो रहे हर गतिविधि की जानकारी देते थे। लगातार सिम बदलते रहने से विरेंद्र तोमर का पुलिस लोकेशन ट्रेस नहीं कर पा रहा था।

फर्जी नामों से फेसबुक, इंस्टाग्राम से जानकारी
वीरेंद्र तोमर फेक अकाउंट बनाकर पुलिस की गतिविधियों तथा उसके खिलाफ पुलिस द्वारा दिए गए बाइट की जानकारी हालिस करता था। साथ ही पुलिस के फेसबुक तथा इंस्टाग्राम अकाउंट से जुड़ा था।

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