कोतबा अस्पताल खस्ताहाल: 15 गांवों के 2 लाख की आबादी एक RMO के भरोसे, 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' बना शो-पीस

कोतबा अस्पताल की हालत खस्ताहाल : 15 गाँवो के 2 लाख की आबादी एक RMO के भरोसे,
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प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र

जशपुर जिले के कोतबा के कारगिल चौक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की हालत बहुत खराब है। अस्पताल में न डॉक्टर है, न स्टाफ है, नर्सों के भरोसे प्रसव हो रहे है।

मयंक शर्मा- कोतबा। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कोतबा के कारगिल चौक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के बाहर सुनहरे अक्षरों में लिखा 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' और 'आरोग्यं परमं धनम्' का नारा इन दिनों मुंह चिढ़ाता नजर आ रहा है। अंदर के हालात देखकर यह सवाल खड़ा होता है कि, डॉक्टर के बिना जब अस्पताल खुद बीमार है, तो मरीजों का इलाज कौन करेगा? करीब डेढ़ से दो लाख की आबादी को स्वास्थ्य सुरक्षा देने वाला यह अस्पताल प्रशासनिक उपेक्षा के चलते खुद 'वेंटिलेटर' पर है। कोतबा नगर पंचायत क्षेत्र का एकमात्र अस्पताल में स्वास्थ सुविधाओं का टोटा हो गया है। यहाँ अस्पताल में न डॉक्टर है, न स्टाफ है, नर्सों के भरोसे प्रसव हो रहे है। जरूरतमंद मरीज बाहरी झोलाछाप के भरोसे इलाज करवा रहे है।

​कोतबा एक प्रमुख नगर और शहरी क्षेत्र माना जाता है। जो 15 से 20 गाँवो का केन्द्र है। यहाँ स्वास्थ्य व्यवस्था की यह दुर्दशा प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यहां डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी के चलते मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है, और गरीब ग्रामीणों को मजबूरन निजी अस्पतालों या दूसरे जिलों में जाकर महंगा इलाज कराना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब सड़क किनारे बसे और सुगम पहुंच वाले कोतबा जैसे शहरी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का यह हाल है, तो अंदरूनी और सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। आलम यह है को एक आरएमओ डॉक्टर के कंधों पर 15 पंचायतों का भार डाल दिया गया है।


15 ग्राम पंचायतों के लाखों लोग इसी अस्पताल पर निर्भर
फरसाबहार ब्लॉक के डोंगादरहा, हाथीबेड, छर्रा, जोरनड्डा और झरिया समेत 15 ग्राम पंचायतों के लाखों लोग इसी अस्पताल पर निर्भर हैं। विडंबना यह है कि यह पूरा सिस्टम फिलहाल अकेले आरएमओ डॉ. शैलेंद्र कुमार चंद्रा के कंधों पर है। प्रभारी डॉक्टर डेढ़ महीने से एजुकेशनल लिव ले कर ट्रेनिंग पर हैं और दूसरे एमबीबीएस डॉक्टर का बॉन्ड पूरा हो चुका है। एमबीबीएस विशेषज्ञ डॉक्टर न होने से अस्पताल की ओपीडी में कतारें हैं और वार्ड वीरान पड़े हैं। ​वीराने में तब्दील वार्ड और कतार में खड़े मरीज अस्पताल की तस्वीरें हकीकत बयां कर रही हैं। चिकित्सकों के अभाव में अस्पताल के बिस्तरों पर सन्नाटा पसरा है और वे खाली पड़े हैं। वहीं, ओपीडी में इलाज के लिए मरीजों की लंबी कतारें लगी हैं, जो घंटों अपनी बारी का इंतजार करते हैं।

डेढ़ महीने से डॉक्टर विहीन अस्पताल
एमबीबीएस विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव का सबसे भयावह असर प्रसव (डिलीवरी) सेवाओं पर पड़ रहा है। अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं का प्रसव नर्सों के भरोसे कराया जा रहा है। स्थिति यह है कि यदि नवजात शिशु को कोई संक्रमण हो या प्रसूता को कोई जटिलता आए, तो उसे तत्काल रेफर कर दिया जाता है। समय पर सही इलाज न मिलने से जच्चा-बच्चा दोनों की जान पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है।वही चिकित्सक के आभाव में पोस्टमार्टम के लिए भी परिजनो को भटकने की मजबूरी बन गई है। इलाज तो दूर, यहाँ बदहाली का आलम यह है कि मरने के बाद भी परिजनों को चैन नहीं है। डॉक्टर न होने के कारण पोस्टमार्टम और मेडिको-लीगल केस (एमएलसी) जैसी अति-आवश्यक सेवाएं ठप पड़ी हैं। शव परीक्षण के लिए शोकाकुल परिजनों को 50 किलोमीटर दूर ब्लॉक मुख्यालय पत्थलगांव या अन्य दूरदराज के इलाकों में भटकना पड़ता है, जिससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहा है।


सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, पूरा सिस्टम नदारद
ऐसा नहीं है कि कमी सिर्फ डॉक्टरों की है। अस्पताल में स्वीपर, ड्रेसर, वार्डबॉय और चौकीदार जैसे महत्वपूर्ण कर्मचारियों के पद भी खाली हैं। सुरक्षा और सफाई व्यवस्था राम भरोसे है। आरएमओ डॉ. शैलेंद्र कुमार चंद्रा ने बताया कि वे अकेले होने के कारण 24 घंटे ड्यूटी करने को मजबूर हैं। उन्होंने बीएमओ और सीएमएचओ को कई बार अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है। ​प्रशासन से सवाल लाजमी हो जाता है। की आखिर कब तक ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर छले जाते रहेंगे। कोतबा और आसपास के 15 गांवों के ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द यहां एमबीबीएस डॉक्टरों और सहयोगी स्टाफ की नियुक्ति की जाए। ताकि, 'आरोग्यं परमं धनम्' का नारा सिर्फ दीवार पर लिखा स्लोगन बनकर न रह जाए।

डॉक्टरों की पदस्थापना के किए जा रहे प्रयास- बीएमओ
इस पूरे मामले को लेकर पत्थलगांव बीएमओ जे. मिंज ने कहा कि, इस मामले की जानकारी है और इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य स्तर से एक डॉक्टर की पदस्थापना होनी थी, लेकिन उसमें क्या अड़चन आई, इसकी जानकारी ले रहा हूं। मैं जिला स्वास्थ्य अधिकारी से चर्चा कर जल्द समाधान निकालने का प्रयास करूंगा।

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