जनसुनवाई हुई संपन्न: आर्सेलर मित्तल निप्पोंन बेनिफिसियेशन प्लांट की क्षमता विस्तार को लेकर हुई बैठक, जनप्रतिनिधियों ने रखी कई मांगें

जनसुनवाई हुई संपन्न : आर्सेलर मित्तल निप्पोंन बेनिफिसियेशन प्लांट की क्षमता विस्तार को लेकर हुई बैठक, जनप्रतिनिधियों ने रखी कई मांगे
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जनसुनवाई संपन्न

दंतेवाड़ा जिले के लौह नगरी किरंदुल में आर्सेलर मित्तल निप्पोंन बेनिफिसियेशन प्लांट की क्षमता विस्तार को लेकर आयोजित जनसुनवाई शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई।

बिप्लव मलिक-किरंदुल। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के लौह नगरी किरंदुल में आर्सेलर मित्तल निप्पोंन बेनिफिसियेशन प्लांट की क्षमता विस्तार को लेकर आयोजित जनसुनवाई शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई। किरंदुल स्थित बेनिफिसियेशन प्लांट विस्तार के तहत् प्रस्तावित आयरन और बेनिफिसियेशन प्लांट क्षमता 8.0 मिलियन टन/वर्ष से 120 मिलियन टन / वर्ष, क्षेत्र -3 83 हेक्टेयर (98.43 एकड़) के पर्यावरणीय स्वीकृति के लिये छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल में लोक जनसुनवाई हुई। जिसमें ग्राम पंचायत मदारी, चोलनार, समलवार, हिरोली, पाड़ापुर, बड़े बचेली, गुमियापाल, कोड़ेनार, कड़मपाल, मड़कामिरास, किरंदुल, जगदलपुर, सुकमा से जनप्रतिनिधि एवं ग्रामीणों ने भाग लिया।

जनसुनवाई में ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम के दौरान परियोजना प्रबंधन की ओर से क्षमता विस्तार से संबंधित जानकारी दी गई और पर्यावरणीय प्रभावों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। आर्सेलर मित्तल निप्पोंन बेनिफिसियेशन प्लांट की क्षमता विस्तार से स्थानीय युवाओं को और अधिक रोजगार मिलने की बात कही। जनसुनवाई के दौरान उपस्थित लोगों को अपनी राय और सुझाव रखने का अवसर दिया गया।

ग्रामीण जनप्रतिनिधियों ने रखी ये मांगे
ग्रामीण जनप्रतिनिधियों ने मल्टीनेशनल हॉस्पिटल क्षेत्र मे खोलने, स्थानीय बेरोजगारों को अधिक से अधिक रोजगार देने, ग्रामीण क्षेत्रों में सी.एस.आर के माध्यम से अधिक से अधिक कार्य करने की बात रखी गई। इलाके में लोग आयरन की मात्रा अधिक होने से शुद्ध पेयजल की व्यवस्था क्षेत्र में करने, पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए अधिक से अधिक पेड़ लगाने, कंपनी के अपशिष्ट पदार्थ को सरकार द्वारा बड़े-बड़े नेशनल हाईवे, रेलवे के कार्यों में फिलिंग के माध्यम से इस्तेमाल करने की बात रखी गई।

शांतिपूर्ण संपन्न हुई जनसुनवाई
इस पूरी जनसुनवाई में कहीं से भी किसी प्रकार का कड़ा विरोध दर्ज नहीं किया गया। बस्तर में पहली बार किसी निजी कंपनी की जनसुनवाई की पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण एवं व्यवस्थित तरीके से संपन्न हुई।

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