छत्तीसगढ़ महतारी की भव्य महाआरती: पारंपरिक वेशभूषा में की गई पूजा-अर्चना, 'अरपा पैरी के धार' से गूंज उठा खरोरा

पूजा-अर्चना करते हुए लोग
सूरज सोनी- खरोरा। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की रजत जयंती के अवसर पर नगर पंचायत खरोरा में छत्तीसगढ़ की पहचान और गौरव का प्रतिक छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर भव्य महाआरती का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई और छत्तीसगढ़ महतारी को माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किए गए।
कार्यक्रम की शुरुआत राज्यगीत 'अरपा पैरी के धार' की मधुर धुन के साथ हुई। जिससे पूरे वातावरण में छत्तीसगढ़ अस्मिता और सांस्कृतिक गर्व की अनुभूति हुई। पारंपरिक वेशभूषा में सजी बहिनों ने छत्तीसगढ़ की लोक परंपराओं के अनुरूप महतारी की आरती कर प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की।
छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की रजत जयंती पर नगर पंचायत खरोरा में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर विधिवत पूजा-अर्चना और महाआरती का आयोजन हुआ। @RaipurDistrict #Chhattisgarh #Rajatjayanti pic.twitter.com/DKm0whLSgK
— Haribhoomi (@Haribhoomi95271) November 2, 2025
इस अवसर पर ये रहे उपस्थित
इस अवसर पर नगर पंचायत खरोरा के उपाध्यक्ष किशोर सर पर सुमित सेन, चेंबर ऑफ कॉमर्स के महामंत्री सूरज सोनी, छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के अजय वर्मा और जिला अध्यक्ष योगेश साहू सहित नगरवासी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम में उत्साह और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला।
देवकर स्कूल ने मनाया राज्य स्थापना दिवस
वहीं 1 नवंबर को बेमेतरा जिले के शासकीय कन्या प्राथमिक शाला देवकर में छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें हमर छत्तीसगढ़ के चिन्हारी बस्तर आर्ट, डोकरा आर्ट, छत्तीसगढ़िया आभूषण की प्रदर्शनी लगाई गई हैं।छत्तीसगढ़ महतारी क़ा वेशभूषा बच्चों ने धारण किया और अरपा पैरी के धार राजकीय गीत पर मनमोहक प्रस्तुती दी। इसके बाद छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा-अर्चना किया गया।
छत्तीसगढ़ क़ा ऐतिहासिक महत्व
प्रधान पाठिका गिरिज़ा पटेल ने बच्चों को बताया कि, किस प्रकार पहले हमारा छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश क़ा हिस्सा हुआ करता था। 1 नवंबर सन 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य पृथक रूप से अस्तित्व में आया और 16 जिले से आज 33 जिलों तक क़ा सफर तय किया। नीत विकास के नये आयामों को पार करता गया। छत्तीसगढ़ क़ा ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक के बारे में बच्चों को जानकारी दी। साथ ही प्रमुख त्यौहार, नदिया, नित्य वेशभूषा आदि पर विस्तार से जानकारी दिया।
शिक्षिका ने बस्तर के देवी-देवताओं के बारे में जानकारी दी
शिक्षिका वीणा रावटे ने बस्तर के देवी-देवताओं की कहानी के बारे में बच्चों को जानकारी दी। बच्चों ने अपने शब्दों छत्तीसगढ़ी और हिन्दी में व्यक्त करने क़ा प्रयास किया जिससे उनके मौखिक भाषा और अभिव्यक्ति कौशल के साथ बहुभाषिक शिक्षण क़ा भी विकास हुआ, जो क एफ एल एन के उद्देश्यों को प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम हैं। बच्चों में बहुत सी जानकारी प्राप्त कर काफी उत्साह देखने को मिला। इस आयोजन में गिरिज़ा पटेल वीणा रावटे और शाला परिवार के बच्चे उपस्थित रहे थे।
