कांकेर में दो परिवारों की घर वापसी: ग्रामीणों ने पैर धोकर किया स्वागत, प्रलोभन में आकर बन गए थे ईसाई

प्रलोभन में आकर बन गए थे ईसाई
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भगवान शिव की पूजा करते हुए धर्मांतिरत परिवार

कांकेर जिले के सरोना ग्राम में भर्रीपारा के दो परिवारों ने ईसाई धर्म छोड़कर पुनः हिंदू धर्म अपनाया। ग्रामवासियों ने परंपरागत तरीके से स्वागत किया।

विजय कुमार पण्डे- कांकेर। धार्मिक और सामाजिक सद्भा का संदेश देने वाला एक प्रेरणादायी उदाहरण कांकेर जिले के सरोना ग्राम से सामने आया है। ग्राम सरोना के भर्रीपारा में निवासरत रामप्रसाद सलाम एवं कपिल मरकाम अपने पूरे परिवार के साथ पुनः हिंदू धर्म में वापसी किया है। दोनों परिवार के प्रमुखों का कहना है कि, लगभग दो वर्ष पूर्व कुछ प्रलोभनों के कारण ईसाई धर्म में चले गए थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने अपनी गलती को महसूस किया और अपने मूल धर्म हिंदू धर्म में वापिस लौटने का निर्णय लिया।

सरोना में इसी विषय को लेकर दो दिन पहले लगभग 35 गांव के लोगों ने बैठक किया और धर्मांतरण को लेकर चिंता जताया था। इस बैठक में यह तय किया गया था कि, गांव के जिस परिवार ने धर्मांतरण किया है, उससे संवाद करके उसके धर्मांतरण करने का कारण जाना जाएगा और उसको अपने धर्म में वापिस होने की समझाईश दी जाएगी। इस बैठक का यह परिणाम सामने आया कि, सरोनों के भर्रीपारा के दो परिवार के प्रमुख और सदस्य अपने मूलधर्म में वापिस आ गए।


ग्रामीणों ने परंपरागत तरीके से किया परिवारों का स्वागत
ग्रामवासियों ने दोनों परिवारों का स्वागत परंपरागत तरीके से पैर धोकर और आरती उतारकर घर वापसी कराया। यह दृश्य अत्यंत भावनात्मक रहा। इस दौरान ग्राम सभा में मौजूद ग्रामीणों ने भी दोहराया कि, वे अपने गांव में किसी भी प्रकार के धर्मांतरण के प्रयासों का विरोध करेंगे और सामाजिक एकता को बनाए रखेंगे।

कार्यक्रम के अंत में दोनों परिवारों को पुष्पमाला पहनाकर सम्मानित किया गया। सभी ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि, गांव में भाईचारे और एकता की भावना को सदैव बनाए रखेंगे। पूरे वातावरण में जय श्रीराम और हर हर महादेव के जयघोष गूंजते रहे। ग्राम सभा के दौरान दोनों परिवारों ने खुले रूप में अपने विचार रखते हुए कहा कि, वे अब अपने मूल धर्म में स्थायी रूप से रहेंगे और समाज व संस्कृति से जुड़कर जीवन व्यतीत करेंगे।


जागरूकता और एकता का दिया संदेश
जिला पंचायत उपाध्यक्ष तारा ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि, धर्मांतरण हमारी संस्कृति और परंपराओं को कमजोर करता है। जिन परिवारों ने अपनी जड़ों की ओर लौटने का निर्णय लिया है, वे समाज में जागरूकता और एकता का संदेश दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि, समाज को ऐसे परिवारों का स्वागत करना चाहिए जो अपने धर्म और संस्कृति के प्रति समर्पित हैं।

धर्मातरण का सबसे बड़ा कारण लालच
ग्राम सरपंच दीपिका वट्टी ने कहा कि, धर्मांतरण के पीछे लालच और गलत जानकारी का बड़ा कारण होता है। उन्होंने गांव के सभी परिवारों से आग्रह किया कि वे अपनी आने वाली पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और हिंदू परंपराओं के प्रति जागरूक करें ताकि भविष्य में कोई भ्रमित न हो।


दोनो परिवार ने दिखाया साहस
भाजपा मंडल के पूर्व अध्यक्ष यशवंत सुरोजिया ने कहा कि हमारा धर्म, हमारी संस्कृति की पहचान है। किसी भी प्रलोभन में आकर अपनी जड़ों से कटना सही नहीं है। आज इन परिवारों ने जो साहस दिखाया है, वह समाज के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि समाज को ऐसे लोगों का सम्मान करना चाहिए, जो अपनी संस्कृति और परंपराओं की ओर लौटने का साहस दिखाते हैं।

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