कोटमसर गुफा खुलते ही बढ़ी पर्यटकों की संख्या: अद्वितीय संरचना और अंधी मछलियां हैं आकर्षण का केंद्र

कोटमसर गुफा में पर्यटकों आना शुरू
महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। कांगेर वेली नेशनल पार्क में मौजूद कोटमसर गुफा में मानसून के चलते 4 महीने तक पर्यटकों के लिए बंद रही, लेकिन हाल ही में एक नवंबर से इस गुफा को पर्यटकों के शुरू कर दिया गया है। शुरू होते ही पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, चार दिन में 600 से अधिक पर्यटक गुफादेखने पहुंच चुके हैं।
बताया जा रहा है कि, जून से पहले तक 5 लाख से अधिक पर्यटक रहस्यमयी कोटमसर गुफा की गहराइयों को देखने पहुंचे, जिनमें 150 विदेशी सैलानी भी शामिल रहे। गुफा की अद्वितीय चूना-पत्थर संरचनाएं, प्राकृतिक छटा और अंदर की ठंडक लोगों को खूब भाती है। कोटमसर गुफा प्रकृति की एक अद्भुत और रहस्यमयी कृति है। यह गुफा न केवल अपनी भौगोलिक संरचना के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि जैव विविधता, वैज्ञानिक महत्व और पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

वैज्ञानिकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है गुफा
यह गुफा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आती है, यह भारत के प्रमुख जैव विविधता हॉटस्पॉट्स में से एक है। यह स्थल पर्यटकों के अलावा वैज्ञानिकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। गुफा की संरचना, जैव विविधता और भूगर्भीय बनावट का अध्ययन किया जाता है। गुफा के अंदर कृत्रिम प्रकाश की मदद से प्राकृतिक संरचनाओं को रोशन किया गया है, जिससे यह और भी रहस्यमय और सुंदर दिखाई देती है।
यहां मिलती है अंधी मछलियां
गुफा के अंदर का तापमान बाहरी मौसम की तुलना में हमेशा ठंडा और नम रहता है। यह पूरे वर्ष लगभग स्थिर रहता है, यह गुफा जैविक विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां अंधेरी जगहों में रहने वाले कुछ विशेष जीव पाए जाते हैं, जैसे अंधी मछलियां, चमगादड़, विशेष प्रकार के कीट।

कोटमसर गुफा की खासियत
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक नवीन कुमार ने बताया कि यह गुफा चूना पत्थर से बनी है, जिसमें प्राकृतिक रूप से बनी स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स संरचनाएं देखने को मिलती हैं। ये सदियों से पानी के रिसाव से बनी हैं, कोटमसर गुफा लगभग 330 मीटर लंबी और कई स्थानों पर काफी गहरी है। इसका कुछ हिस्सा ही पर्यटकों के लिए खुला है, क्योंकि अंदर जाना जोखिम भरा हो सकता है।
