जशपुर टूरिज्म रीबूट: निवेश, विकास और अंतरराष्ट्रीय पहचान की ओर कदम, तीन पर्यटन सर्किट और मेगा प्रोजेक्ट्स से बढ़ा आकर्षण

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, जशपुर पर्यटन क्षेत्र
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन से जशपुर पर्यटन क्षेत्र में नई पहचान बना रहा 

जशपुर अब छत्तीसगढ़ का उभरता हुआ पर्यटन, खेल और संस्कृति केंद्र बन रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में तीन बड़े पर्यटन सर्किट, आधुनिक अवसंरचना और सांस्कृतिक आयोजनों ने जिले में विकास की नई संभावनाओं को जन्म दिया है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ का सबसे उत्तर पूर्वी क्षेत्र है जशपुर। यह क्षेत्र अब तक प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता था, साय सरकार की विकास योजनाओं के बाद छत्तीसगढ़ का एक उभरता हुआ पर्यटन हॉटस्पॉट बन गया है। मार्च 2024 से नवंबर 2025 के बीच सरकार ने पर्यटन, खेल, संस्कृति और बुनियादी ढाँचे में कई अभूतपूर्व कदम उठाए, जिससे जशपुर को राष्ट्रीय मानचित्र पर पहचाना जाने लगा है।

तीन नए पर्यटन सर्किटों का निर्माण, एडवेंचर ज़ोन की शुरुआत, तीरंदाजी अकादमी का निर्माण और जशपुर जंबूरी जैसे आयोजन इस जिले को आधुनिक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास हैं।


पर्यटन सर्किटों का विकास और उद्घाटन
मार्च 2025 में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा जशपुर में तीन प्रमुख पर्यटन सर्किटों- आध्यात्मिक एवं विरासत सर्किट, प्रकृति एवं वन्यजीव सर्किट और साहसिक पर्यटन सर्किट का उद्घाटन किया गया। इन सर्किटों का उद्देश्य पर्यटकों को एकीकृत यात्रा अनुभव उपलब्ध कराना और जिले की विविधता को नए रूप में प्रस्तुत करना है।


आध्यात्मिक और विरासत सर्किट
आध्यात्मिक और विरासत सर्किट का निर्माण तमता, कैलाश गुफा, मधेश्वर पर्वत और ग्वालिन सरना जैसे प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को जोड़ता है। इसका उद्देश्य इन स्थलों की पहचान को बढ़ाना और आध्यात्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करना है। मार्च 2024 से जून 2024 तक इस सर्किट के मार्गों का निर्माण किया गया, जिसमें पथ निर्माण, मार्गदर्शक बोर्ड और प्रकाश व्यवस्था जैसी सुविधाएँ शामिल की गईं।


प्रकृति और वन्यजीव सर्किट
प्रकृति और वन्यजीव सर्किट में मकरभंजा जलप्रपात, बादलखोल अभयारण्य, रानीदाह और सरुडीह के चाय बागान जैसे खूबसूरत स्थल शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना और वन्यजीव संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। जनवरी 2025 से मार्च 2025 के बीच इस सर्किट में ट्रेल्स, अवलोकन डेक और छोटे आवास जैसी सुविधाओं का निर्माण किया गया।


साहसिक पर्यटन सर्किट
साहसिक पर्यटन सर्किट में डांगरी कैंपसाइट, बेलवार जलप्रपात और सरना पर्वतारोहण क्षेत्र जैसे स्थल शामिल हैं। इसका उद्देश्य पर्वतारोहण, रैपलिंग और अन्य साहसिक खेलों को बढ़ावा देना है। इस सर्किट का निर्माण फरवरी 2025 में आधारशिला रखने के साथ शुरू हुआ और मार्च 2025 में एडवेंचर पार्क का उद्घाटन किया गया।


मयाली नेचर कैंप का विकास
मयाली नेचर कैंप जनवरी 2025 से अप्रैल 2025 तक विकसित किया गया, जिसमें पर्यावरण-अनुकूल आवासीय सुविधाएँ, ट्रेल्स और अवलोकन डेक शामिल हैं। इसका उद्देश्य पर्यटकों को प्राकृतिक वातावरण में अनुभव प्रदान करना और वन्यजीव तथा पारिस्थितिकी के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही, स्थानीय समुदाय को रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर भी उपलब्ध कराए गए।


एडवेंचर ज़ोन का शुभारंभ
एडवेंचर ज़ोन का उद्घाटन मार्च 2025 में मयाली नेचर कैंप, जशपुर में किया गया। यह ज़ोन स्थानीय ठेकेदारों और पर्यटन विभाग की देखरेख में सुरक्षित और पर्यावरण‑अनुकूल तरीके से विकसित किया गया है। यहाँ पर्वतारोहण, रॉक क्लाइम्बिंग, रैपलिंग, कयाकिंग, स्पीड बोटिंग, पोंटून बोटिंग, एक्वा साइक्लिंग और फ्लोटिंग जेटी जैसी रोमांचक गतिविधियाँ उपलब्ध हैं।


स्वदेश दर्शन योजना का लाभ
स्वदेश दर्शन योजना को मई 2025 में लॉन्च किया गया, जिसके लिए ₹10 करोड़ की निधि निर्धारित की गई थी। इस योजना का उद्देश्य प्राकृतिक और सांस्कृतिक पर्यटन के संवर्धन को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत कैंप में आवासीय सुविधाएँ, यात्री मार्ग और पर्यावरण-अनुकूल संरचनाएँ विकसित की गईं, जिससे पर्यटकों के अनुभव को सुरक्षित और आकर्षक बनाया जा सके।


तीरंदाजी अकादमी की स्थापना
तीरंदाजी अकादमी की घोषणा जुलाई 2025 में की गई, जिसमें एनटीपीसी के सहयोग से स्थानीय खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का उद्देश्य रखा गया। अगस्त 2025 से दिसंबर 2025 तक आधुनिक तीरंदाजी रेंज और प्रशिक्षण सुविधाओं का निर्माण किया गया, जिससे खिलाड़ियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण और अभ्यास का अवसर उपलब्ध हो सके।


जशपुर जंबूरी का आयोजन
जशपुर जंबूरी नवंबर 2025 में आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य आदिवासी संस्कृति, लोक कला और प्राकृतिक सुंदरता को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करना और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देना था। इस बहुआयामी आयोजन में स्थानीय हस्तशिल्प, नृत्य और संगीत प्रस्तुतियाँ शामिल थीं, जिनके माध्यम से जशपुर की सांस्कृतिक धरोहर को लोकप्रिय और संरक्षित करने का प्रयास किया गया। इस जंबूरी ने न केवल पर्यटकों को आकर्षित किया, बल्कि स्थानीय समुदाय को अपने सांस्कृतिक कौशल और परंपराओं को प्रदर्शित करने का अवसर भी प्रदान किया।


डिजिटल पर्यटन पहचान
डिजिटल पहचान दिसंबर 2024 में शुरू की गई, जिसका उद्देश्य जशपुर को easemytrip.com जैसी प्रमुख पर्यटन वेबसाइटों पर सूचीबद्ध कर राष्ट्रीय स्तर पर इसकी दृश्यता और पहुंच बढ़ाना था। इस पहल के माध्यम से जशपुर के प्राकृतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर प्रदर्शित किया गया, जिससे पर्यटकों और निवेशकों के लिए जिले की पहचान और आकर्षण बढ़ सके।


बुनियादी ढाँचे का सुदृढ़ीकरण
सड़क और पुल निर्माण कार्य सितंबर और नवंबर 2025 में सम्पन्न हुआ, जिसमें सड़क निर्माण के लिए ₹6.54 करोड़ और पुल निर्माण के लिए ₹13.69 करोड़ का निवेश किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य दूरस्थ पर्यटन स्थलों तक पहुँच को आसान बनाना था। निर्माण कार्य में आधुनिक तकनीक और सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए गुणवत्ता सुनिश्चित की गई, जिससे यात्रियों के लिए सुरक्षित और टिकाऊ परिवहन मार्ग तैयार हुए।

जशपुर अब केवल प्राकृतिक सुंदरता का केंद्र नहीं
साय सरकार द्वारा किए गए योजनाबद्ध निवेश और विकास कार्यों ने जशपुर को पर्यटन, खेल, संस्कृति और अवसंरचना के क्षेत्र में एक नए युग में प्रवेश कराया है। जशपुर अब केवल प्राकृतिक सुंदरता का केंद्र नहीं, बल्कि अवसरों, रोमांच और सांस्कृतिक गौरव से भरा एक आधुनिक पर्यटन गंतव्य बनकर उभर रहा है।

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