राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष: बारिश के बीच स्वयंसेवकों ने किया पथ संचलन, लोगों ने पुष्पवर्षा कर किया स्वागत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष
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पथ संचलन निकालते हुए स्वयंसेवक

कोतबा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के सौ वर्ष पूर्ण होने पर स्वयंसेवकों ने अचानक हुए बारिश के बीच मे ही उत्साहपूर्वक अनुशासन में पथ संचलन निकाला।

मयंक शर्मा- जशपुर/कोतबा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के सौ वर्ष पूर्ण होने पर संघ जिला कांसाबेल के तत्वावधान शुक्रवार को कोतबा नगर में पथ संचलन निकाला गया। स्वयंसेवकों ने अचानक हुए बारिश के बीच मे ही उत्साहपूर्वक अनुशासन में पथ संचलन निकाला। घोष की धुन पर पूर्ण गणवेश में कदमताल करते हुए स्वयंसेवकों ने नगर और आस पास के पत्थलगांव, बागबहार, कांसाबेल,सुरंगपानी क्षेत्रों के सैकड़ों स्वयं सेवकों ने भाग लिया।

राष्ट्र स्वयंसेवक संघ के पथ संचलन का नगर में जगह-जगह समाजसेवियों, माताओं, बहनों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। पथ संचलन से पहले सभी स्वयंसेवक पारंपरिक वेशभूषा धारण कर दण्ड अस्त्र शस्त्र सहित नगर के तिलगोड़ा प्रांगण में एकत्रित हुए। यहां संघ के पदाधिकारियों सहित पथ संचलन में बाल से लेकर प्रौढ़ स्वयंसेवक शामिल रहे। वयोवृद्ध स्वयंसेवकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। शताब्दी वर्ष की अनुभूति हर स्वयंसेवक में नई ऊर्जा व दायित्व का बोध करा रही है।


कदम-कदम मिलाकर बैंड बाजा की धुन में पथ संचलन
विजयदशमी पर वर्ष 1925 में नागपुर में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। संघ का ध्येय मातृभूमि के लिए नि:स्वार्थ सेवा भाव से कार्य करना है। प्रार्थना और भगवा ध्वज प्रणाम के बाद कदम-कदम मिलाकर बैंड बाजा की धुन में पथ संचलन निकाला गया। पथ संचलन तिलगोड़ा प्रांगण से प्रारंभ होकर, चौहान पारा, राम मंदिर पारा खड़िया पारा, खालपारा, चट्टानपारा से गंझूपारा से मुख्य मार्ग में परशुराम चौक, बस स्टैण्ड, रायगढिया चौक से कारगिल चौक, झिंगरेल पारा होकर पुन: तिलगोड़ा मैदान में पथ संचलन का समापन किया गया। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोतबा पुलिस चौकी कोतबा के पुलिस बल के साथ तैनात रहे। पथ संचलन के दौरान भी पुलिस बल साथ-साथ मौजूद रहा।

100 वर्ष की यात्रा पर डाला प्रकाश
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रकाश यादव कोतबा ने कहा कि, आज समाज में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है। पूरा समाज आज संघ की ओर सकारात्मक रूप से देख रहा है। प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शन में काम करने की आवश्यकता है। अपरिचित को परिचित, परिचित को मित्र और फिर मित्र को स्वयंसेवक, स्वयंसेवक को कार्यकर्ता बनाने की प्रक्रिया है। कार्यकर्ताओं के बलिदान पर ही आज संगठन नित्य निरंतर बढ़ रहा है। शम्भूनाथ चक्रवर्ती प्रमुख वक्ता ने संघ की स्थापना की आवश्यकता, उद्देश्य और उसकी 100 वर्ष की यात्रा पर प्रकाश डाला।


विजयदशमी उत्सव के साथ ही संघ शताब्दी वर्ष प्रारंभ
मुख्य अतिथि प्रकाश ने कहा कि, समाज और स्वयंसेवकों से अपने जीवन में पंच परिवर्तन अपनाने का आह्वान किया। राष्ट्र के परम वैभव के लिए पंच परिवर्तन के अंतर्गत हम सब अपने दैनिक जीवन में सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली और स्वदेशी को अपनाएं तथा नागरिक कर्तव्यों का पालन करें। विजयदशमी उत्सव के साथ ही संघ शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो गया। जिसके अंतर्गत वर्षपर्यंत समाज ने विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया है। जिसमें वृहद गृह संपर्क व हिंदू सम्मेलन प्रमुख है।

इन विषयों को लेकर जाएंगे समाज के बीच
नीलध्वज शास्त्री संचालक ने कहा कि, आदर्श स्वयंसेवक समाज में अपनी अलग ही छवि रखता है। संघ का स्वयंसेवक विषम परिस्थितियों में भी देश की सेवा करने में अग्रणी भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वंयसेवी संगठन है। शताब्दी वर्ष में स्वयंसेवक समाज के बीच पंच परिवर्तन पर्यावरण, सामाजिक समरसता, स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य, कुटुंब प्रबोधन के विषयों को लेकर समाज के बीच में जाएंगे।

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