अव्यवस्थताओं की भेंट चढ़ी गर्भवती: पगडंडी पर 6 किमी पैदल चलकर लाया गया चितालगुर गांव, रास्ते में हुआ मिसकैरेज

अव्यवस्थताओं की भेंट चढ़ी गर्भवती : पगडंडी पर 6 किमी पैदल चलकर लाया गया चितालगुर गांव, रास्ते में हुआ मिसकैरेज
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गर्भवती महिला को पैदल अस्पताल लेकर जाते ग्रामीण 

जगदलपुर के 5 से 6 किलोमीटर तक लादकर लाया गया। रास्ते में 5 महीने की गर्भवती महिला का मिस कैरेज हो गया और हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। बस्तर जिले अंर्तगत जगदलपुर ब्लॉक के आखिरी छोर में बसे गुड़ियापदर गांव के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। इस गांव में ना ही सड़क हैं ना ही बिजली है और ना ही पेयजल की सुविधा है। स्वास्थ्य सुविधाओं के भी अभाव के वजह से इन ग्रामीणों को हर दिन कई गंभीर समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। खासकर गर्भवती महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, शनिवार की देर रात भी एक पांच महीने की गर्भवती महिला को लहूलुहान की हालत में गुड़ियापदर गांव से चितालगुर गांव तक खाट पर 5 से 6 किलोमीटर तक लादकर लाया गया।

इसके बाद चितालगुर गांव तक एंबुलेंस पहुंची और पीड़ित महिला को डिमरापाल मेडिकल कॉलेज पहुंचाया गया। 5 महीने की गर्भवती महिला का मिस कैरेज होने से उसकी हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। जिसका ईलाज डिमरापाल अस्पताल में जारी है। गुड़ियापदर गांव के ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें हर रोज इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सड़क नहीं होने की वजह से स्वास्थ्य विभाग की टीम भी गांव तक नहीं पहुंचती, जिससे ग्रामीणों को इसी तरह खाट पर 5 से 6 किलोमीटर कच्ची सड़क पर चलकर मरीजों को चितालगुर गांव तक पहुंचाना पड़ता है। सरकार से मिलने वाली पीडीएस चावल से लेकर रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए भी हर रोज 5 से 6 किलोमीटर पैदल चलकर चितालगुर गांव आना पड़ता है।

बुनियादी सुविधा के लिए जूझ रहे ग्रामीण
संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद गुड़ियापदर गांव को वन अधिकार अधिनियम का दर्जा प्राप्त है। 35 से 40 परिवारों के इस गांव में अब तक सरकार की कोई भी सुविधा नहीं पहुंच पाई है, मूलभूत सुविधा और स्वास्थ सुविधा का लाभ पाने के लिए ग्रामीण जूझ रहे हैं। वहीं सरकारी कागजों में यह गांव नक्सल मुक्त हो चुका है। बावजूद इसके प्रशासन इस गांव में अब तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंचा पाया है। हालांकि क्रेडा विभाग द्वारा सोलर लाइटस लगाए गए हैं। लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में वह भी खराब पड़े हुए हैं। इस गांव के रहने वाले सुका मरकाम ने बताया कि उनकी पत्नी लखमी मरकाम 5 महीने की गर्भवती है।

खाट पर हुआ मिसकैरेज
शनिवार की शाम अचानक दर्द उठने से गांव के अन्य तीन ग्रामीणों की मदद से खाटपर घर से बाहर ले जाते वक्त मिसकैरेज हो गया। पूरी तरह से लहूलुहान की हालत में खाट पर पखडंडी के रास्तों से 5 से 6 किलोमीटर पैदल चलकर चितालगुर गांव पहुंचाया गया और यहां एंबुलेंस की मदद से डिमरापाल स्थित मेडिकल कॉलेज लाया गया। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी की तबीयत काफी नाजुक है और अब तक पांच यूनिट ब्लड चढ़ चुका है। गांव के रहने वाले मरीजो और गर्भवती महिलाओं को इसी तरह की दिक्कतों का सामना लंबे समय से करना पड़ रहा है, सड़क नहीं होने की वजह से स्वास्थ्य विभाग की टीम उनके गांव तक नहीं पहुंच पाती और उन्हें चीतालगुर गांव तक आने को कहा जाता है।

राशन लेने 6 किमी का सफर
गांव के रहने वाले शकील रिजवी ने बताया कि पूर्व विधायक से ग्रामीणों द्वारा मांग करने के बाद चितालगुर गांव से गुड़िया पदर गांव तक 3 पुल-पुलिया का निर्माण तो कराया गया है, लेकिन पक्की सड़क आज भी नहीं बन पाई है। पगडंडी और कुछ जगहों पर मिट्टी की सड़क होने की वजह से बारिश की मौसम में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यहां तक की ग्रामीण सरकारी राशन लेने गुड़ियापदर गांव से 5 से 6 किमी पैदल चलकर चितालगुर गांव तक पहुंचते हैं, 35 से 40 परिवारों के इस गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।


कुपोषित बालक मिला एनआरसी रेफर
इसकी सूचना मिलने पर सोमवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय बसाक अपनी टीम के साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नानगुर के पहुंच विहीन ग्राम गुड़िया पदर में निशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें 56 लोगों का जांच एवं उपचार किया गया, जिसमें 25 लोगों का बीपी एवं शुगर जांच, 7 लोगों का टीकाकरण, 5 लोग मोतियोबिंद से पीड़ित, 20 लोगों का सिकलिन जांच, 12 लोग सर्दी खांसी से पीड़ित तथा 10 लोगों का बुखार जांच कर उपचार किया गया। एक कुपोषित बालक को एनआरसी रेफर किया गया।

बीएमओ ने क्षेत्रीय भाषा में दी जानकारी
बीएमओ द्वारा क्षेत्रीय बोली में स्वास्थ्य विभाग की योजनाएं जननी सुरक्षा योजना, आयुष्मान कार्ड तथा वय वंदन कार्ड के बारे मे जानकारी दी गई। इसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सहित टीकाकरण अधिकारी डॉ. सीआर मैत्री, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नानगुर के बीएमओ डॉ. राधेश्याम भंवर, दमधर, श्रीमती किरण चंद्राकर, नेत्र सहायक अधिकारी रयमन बघेल, स्टाफ नर्स श्रीमती थलेश्वरी नाग, क्रिस्टीना बघेल, आरएचओ अमृत पॉल, कुमारी हिना कश्यप तथा मितानिन शामिल रहे।

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