धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्थता: उठाव ना होने की वजह से लगा जाम, किसानों ने जताई नाराजगी

धान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्थता : उठाव ना होने की वजह से लगा जाम, किसानों ने जताई नाराजगी
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धान खरीदी केंद्र

जगदलपुर में धान खरीदी केंद्रों पर हजारों क्विंटल धान उठाव ना होने की वजह से खुले में पड़ा है। उठाव ना होने की वजह से किसानों को दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है।

अनिल सामंत- जगदलपुर। धान खरीदी के चरम दौर में बस्तर अंचल के कई खरीदी केंद्र गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। खरीदी तो लगातार जारी है, लेकिन समय पर धान उठाव न होने से केंद्रों में हजारों क्विंटल धान खुले आसमान तले पड़ा हुआ है। नमी, जाम और घटतौली की आशंका ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। हालात ऐसे बन गए हैं कि किसानों की मेहनत पर पानी फिरने का डर सताने लगा है।

तोकापाल, बकावंड, दरभा, लोहण्डीगुड़ा, बस्तर, जगदलपुर और बस्तानार ब्लॉकों के अंतर्गत आने वाले छोटे-बड़े खरीदी केंद्रों में धान के ढेर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कई केंद्रों पर जगह की भारी कमी हो गई है। किसानों का कहना है कि धान बेचने के बाद भी उन्हें चैन नहीं है। क्योंकि, उठाव न होने से उनकी उपज सुरक्षित नहीं मानी जा सकती। केंद्र प्रभारियों पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। क्योंकि बोरा-बचत और गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

किसानों ने जताई नाराज़गी
कुछ केंद्रों पर टोकन व्यवस्था को लेकर किसानों ने नाराज़गी जाहिर की। लेकिन अधिकांश किसानों और प्रभारियों का कहना है कि टोकन प्रक्रिया सामान्य है। केंद्रों में पानी, चाय और मौसम से बचाव की व्यवस्था भी की गई है। असली समस्या सिर्फ और सिर्फ धान उठाव की है। लंबे समय तक धान पड़ा रहने से जाम और घटतौली तय मानी जा रही है, जिसकी जिम्मेदारी न किसान उठा सकते हैं और न ही खरीदी समितियां।

हर दिन हो रहा नुकसान
कई केंद्रों पर अब तक 3,000 से 4,500 क्विंटल तक धान की खरीदी हो चुकी है। लेकिन उठाव शुरू न होने से हर दिन नुकसान का जोखिम बढ़ रहा है। किसानों का कहना है कि यदि जल्द परिवहन शुरू नहीं हुआ, तो इसका सीधा असर उनकी आमदनी पर पड़ेगा। इस पूरे मामले को लेकर जिला विवरण अधिकारी से सम्पर्क किया गया तो उनका कहना है, उठाव शीघ्र प्रारंभ किया जाएगा।

धान उठाव न होने से बढ़ती मुश्किलें
केंद्रों में जगह लगातार घट रही है, खुले में रखा धान नमी और जाम का शिकार हो रहा है, घटतौली की आशंका बढ़ रही है, किसान मानसिक दबाव में हैं, खरीदी प्रभारी जवाबदेही के डर से परेशान हैं, समितियों पर बोझ बढ़ रहा है और यदि शीघ्र उठाव नहीं हुआ तो करोड़ों के नुकसान की आशंका बनती जा रही है।

बड़ा सवाल कब शुरू होगा धान उठाव?
धान खरीदी के इस अहम समय में उठाव का ठप रहना बड़ी प्रशासनिक चूक मानी जा रही है। यदि शीघ्र परिवहन व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई,तो नुकसान किसानों के साथ-साथ शासन के सिर भी आएगा। आज पूरा बस्तर इसी सवाल पर टिका है, आखिर कब होगा धान उठाव शुरू? किसानों का धैर्य टूट रहा है और धान का ढेर घट रहा है,अगर अब भी कदम नहीं उठे तो नुकसान की असली वजह मौसम नहीं, लापरवाही कहलाएगी।

मिलर्स के साथ अनुबंध हुआ, एक- दो दिन में होगा उठाव- डीएमओ
इस पूरे मामले को लेकर डीएमओ सतीश नन्हवारे ने कहा कि, धान उठाव के लिए जिले की रजिस्टर्ड मिलर्स से अनुबंध हो गया है। एक दो दिनों में उठाव प्रारंभ हो जाएगा।

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