खमढोड़गी गांव में प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा: दो दिवसीय कार्यशाला में विद्यार्थियों ने सीखी प्रकृति की पाठशाला

खमढोड़गी गांव में प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा : दो दिवसीय कार्यशाला में विद्यार्थियों ने सीखी प्रकृति की पाठशाला
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लोगों को जानकारी देते हुए वनकर्मी 

जगदलपुर के खमढोड़गी गांव में प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा का आयोजन किया गया। जहां विद्यार्थियों ने प्रकृति की पाठशाला में औषधीय पौधों की खोज और संरक्षण सीखी।

अनिल सामंत- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर के खमढोड़गी गांव में प्रकृति शिक्षण विज्ञान यात्रा का आयोजन किया गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में 'औषधीय पौधों की खोज यात्रा एवं संरक्षण–संवर्धन कार्यशाला उत्साह, नए ज्ञान और नवाचार के साथ सम्पन्न हुई। प्रदेशभर से आए विद्यार्थियों, शिक्षकों व वनस्पति विज्ञान विशेषज्ञों ने पहाड़ी क्षेत्र में भ्रमण कर सैकड़ों औषधीय पौधों की पहचान की तथा उनके वैज्ञानिक संरक्षण, पारंपरिक चिकित्सा उपयोग और जैव-विविधता के महत्व पर गहन चर्चा की। इस महत्वपूर्ण आयोजन में पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों के लिए जगदलपुर के मनीष अहीर को सम्मानित किया गया।

समापन समारोह में उत्तर बस्तर कांकेर कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रकृति एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने बताया कि बीएएमएस की पढ़ाई के कारण उनकी औषधीय वनस्पतियों में विशेष रुचि रही है। उन्होंने कहा कि यदि विद्यार्थी जंगलों में औषधीय पौधों को प्रत्यक्ष रूप से पहचानना सीखें, तो पर्यावरण संरक्षण, वनस्पति विज्ञान और आयुर्वेद की शिक्षा जीवन भर के लिए उपयोगी हो जाती है।


वन सांस्कृतिक और औषधीय विरासत
विशिष्ट अतिथि पद्मश्री अजय कुमार मंडावी ने वन और पर्वतों को सांस्कृतिक व औषधीय विरासत का आधार बताया। वहीं डॉ. पल्लवी क्षीरसागर ने कहा कि पारंपरिक जनजातीय ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अध्ययन का संगम ही औषधीय पौधों के वास्तविक मूल्य को समझा सकता है। उनके अनुसार गिलोय, सतावर,नागफनी, जंगली तुलसी जैसे पौधे हमारी जैविक धरोहर के मजबूत स्तंभ हैं।

जंगल की पाठशाला बच्चों में बढ़ा पर्यावरणीय आत्मविश्वास
मनीष अहीर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि इको क्लब के माध्यम से पर्यावरण शैक्षणिक गतिविधियों को और विस्तार दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों को पुस्तकों से बाहर निकालकर प्रत्यक्ष अनुभव के साथ सीखने का अवसर देते हैं।

विज्ञान संचारकों को प्रदान किया गया स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र
समापन सत्र में कलेक्टर द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विज्ञान संचारकों को स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। इसके बाद कलेक्टर सहित अतिथियों ने खमढोड़गी जलाशय परियोजना में बैम्बू राफ्टिंग का अनुभव लिया, जिससे टीमवर्क और पर्यावरणीय समझ का विकास हुआ। कुमार मंडावी की देखरेख में विद्यार्थियों द्वारा विज्ञान मॉडल प्रदर्शनी, पारंपरिक औषधीय जड़ी-बूटी स्टॉल और जनजातीय चिकित्सा पद्धति पर इंटरएक्टिव डिस्प्ले लगाए गए,जिन्हें अतिथियों ने ग्रामीण विज्ञान शिक्षा का उत्कृष्ट नवाचार बताया।


शिक्षा, अनुभव और रोमांच के अद्भुत मेल
कुरूमार्री पहाड़ की पगडंडियों पर खोज यात्रा के दौरान विद्यार्थियों ने गिलोय, नागफनी, सतावर, जंगली प्याज, जड़ी-बूटी प्रजातियों और दुर्लभ वनस्पतियों की पहचान करते हुए स्थानीय वैधराजों से उनके पारंपरिक उपयोग सीखे। पहाड़ के तल से लेकर चोटी तक वनस्पतियों की विविधता ने प्रतिभागियों को प्रकृति की अद्भुत दुनिया से जोड़ते हुए उनमें संरक्षण का संकल्प जगाया। मॉडल प्रदर्शनी, पारंपरिक उपचार पद्धति, विज्ञान संवाद, बैम्बू राफ्टिंग और प्रशस्ति वितरण तक पूरा कार्यक्रम शिक्षा, अनुभव और रोमांच के अद्भुत मेल के रूप में ग्रामीण क्षेत्र के विज्ञान- प्रकृति संबंधों को नई दिशा देता दिखाई दिया।

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