'माटी' का ट्रेलर लांच: सिनेमा की धरती बन रहा बस्तर, चार प्रमुख संस्थाओं की अगुवाई में संस्कृति और संवाद का हुआ संगम

'माटी' फिल्म का ट्रेलर किया गया लांच
अनिल सामंत- जगदलपुर। बस्तर की संस्कृति, सौंदर्य और संवेदना को परदे पर जीवंत करने वाली फ़िल्म 'माटी' की टीम का रविवार को होटल अविनाश इंटरनेशनल में गरिमामयी सम्मान हुआ। इस अवसर पर बस्तर चैम्बर ऑफ कॉमर्स, रोटरी क्लब, इन्हरव्हील क्लब और जूनियर चैम्बर ऑफ कॉमर्स के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में फ़िल्म के निर्माता, निर्देशक और कलाकारों का कोसा से निर्मित शॉल व श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में फ़िल्म का ट्रेलर प्रदर्शित हुआ, जिसे दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से सराहा। इस अवसर पर निर्माता एवं लेखक संपत झा, निर्देशक अविनाश प्रसाद,प्रमुख कलाकार भूमिका साहा, के. श्रीधर और आशुतोष तिवारी सहित पूरी टीम उपस्थित रही। चारों संस्थाओं के पदाधिकारियों ने कहा कि ‘माटी’ केवल एक फ़िल्म नहीं,बल्कि बस्तर की आत्मा की पुनः खोज है जो इस धरती की संस्कृति, संघर्ष और संवेदना को नई पहचान दे रही है।

माटी ने बस्तर की प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया
चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष श्याम सोमानी ने कहा कि, माटी ने बस्तर की प्रतिभाओं को राष्ट्रीय पटल पर पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त किया है। इस फ़िल्म ने दिखाया है कि यहाँ की धरती केवल संसाधनों की नहीं, बल्कि अपार रचनात्मकता की भूमि है। वहीं रोटरी क्लब अध्यक्ष राहुल जैन ने कहा हमें विश्वास है कि ‘माटी’ के बाद बस्तर फ़िल्म निर्माण का नया केंद्र बनेगा। यहाँ की प्रकृति, संस्कृति और कहानियाँ स्वयं सिनेमा की पटकथा हैं। निर्देशक अविनाश प्रसाद ने कहा यह फ़िल्म एक कहानी से अधिक एक दायित्व है उस मिट्टी के प्रति जो हमें पहचान देती है।
माटी बस्तर की आत्मा का सिनेमाई रूपांतरण
फ़िल्म ‘माटी’ केवल बस्तर की कहानी नहीं, बल्कि उस विचार की अभिव्यक्ति है कि संवाद, सहयोग और संवेदना ही विकास की सच्ची राह हैं। निर्माता संपत झा ने बस्तर को एक जीवंत प्राकृतिक फिल्म स्टूडियो के रूप में प्रस्तुत किया है। जहाँ के जंगल,झरने, लोकनृत्य और जनजीवन मिलकर अनोखा सिनेमाई अनुभव रचते हैं। यह पहल आने वाले समय में बस्तर को फिल्म, पर्यटन और संस्कृति के नए केंद्र के रूप में स्थापित करने जा रही है।
बस्तर अब संघर्ष की नहीं, बल्कि बन रही सृजन की भूमि
बस्तर की मिट्टी में अब रचनात्मकता की नई महक घुल चुकी है। ‘माटी’ जैसी फ़िल्में यह प्रमाणित कर रही हैं कि यह धरती अब केवल इतिहास की पीड़ा नहीं, बल्कि भविष्य की प्रेरणा लिख रही है। फ़िल्म की टीम ने जिस संवेदना और आत्मीयता से इस क्षेत्र को परदे पर उतारा है, उसने बस्तर को सिनेमा की दुनिया में नई पहचान दी है। यही वह क्षण है जब बस्तर हिंसा की परछाइयों से निकलकर सृजन की रोशनी में नहा रहा है। जहाँ हर फ्रेम में उग रही है आशा की हरियाली और संवाद की ध्वनि।
ये वरिष्ठ लोग रहे उपस्थित
कार्यक्रम का संचालन अप्रतिम झा ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन रोटरी क्लब के कोषाध्यक्ष श्रीधर राव मद्दी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में श्याम सोमानी, विमल बोथरा, राजकुमार दंडवानी, ओमप्रकाश टॉवरी, श्रीपाल जैन, सुषमा झा, डॉ सरिता थॉमस, राहुल जैन, विवेक जैन, दिनेश कागोत, शिखर मालू, लक्ष्मण राजपुरोहित, मोहित दंडवानी, विशाल राव, हर्ष संखला, अप्रतिम झा, शिशिर झा सहित अनेक गणमान्य नागरिक एवं संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
