देव प्रबोधिनी एकादशी: लक्ष्मीनारायण मंदिर में सवा लाख बत्ती की परिक्रमा में उमड़ा भक्तों का जनसागर

लक्ष्मीनारायण मंदिर में देव प्रबोधिनी एकादशी
अनिल सामंत- जगदलपुर। जगदलपुर के ऐतिहासिक श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर में देव प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर इस वर्ष भी अत्यंत भव्य और भावनापूर्ण आयोजन हुआ। यह वही तिथि है, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होकर पुनः सृष्टि संचालन आरंभ करते हैं। इस दिन मंदिर परिसर में लक्ष्मीनारायण मंदिर समिति, गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य जी की सेना आदित्य वाहनी एवं आनंद वाहनी, नारी शक्ति एवं पुरुष कर्मकर्ताओं के संयुक्त प्रयासों से वर्षो से यह अनुष्ठान निरंतर परंपरागत श्रद्धा के साथ आयोजित किया जा रहा है।
आयोजन का शुभारंभ भगवान विष्णु की प्रिय वृन्दावती माता तुलसी के सोलह श्रृंगार से हुआ। गन्ने से सजे मंडप में भगवान लक्ष्मीनारायण के साथ माता तुलसी का वैदिक विधि से पूजन-अर्चन किया गया। तत्पश्चात आचार्य पंडित रोमितराज त्रिपाठी के मुखारविंद से एकादशी महात्म्य कथा का श्रवण किया गया, जिसे श्रद्धालुओं ने गहन भक्ति भाव से सुना।

शास्त्रनियम के अनुसार घृत पूर्ण सवा लाख बत्ती का दान किया गया। भक्तों ने इस विशाल दीप को अपने सिर पर धारण कर मंदिर की परिक्रमा की। यह दृश्य श्रद्धा, अनुशासन और भक्ति का अद्भुत संगम बन गया। हर भक्त अपने सिर पर दीप लिए जय श्री लक्ष्मीनारायण” का जयघोष करते हुए परिक्रमा में सम्मिलित था।
प्रधान पुजारी ने निभाई जजमान की भूमिका
प्रधान पुजारी पंडित किशोर तिवारी सपत्नीक जजमान के रूप में उपस्थित रहे। गणेश पूजन, मंडप पीठ स्थापना, कलश स्थापना एवं बस्तर-छत्तीसगढ़-भारत के मंगल संकल्प के साथ पूर्ण वैदिक विधि से पूजा सम्पन्न हुई। मंदिर परिसर में इस दौरान श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। नगर निगम के जलकार्य सभापति सुरेश गुप्ता, राजस्व सभापति संग्राम सिंह राणा सहित अनेक गणमान्य लोग भी भगवान के भक्त स्वरूप में उपस्थित रहे और सामान्य श्रद्धालुओं के साथ परिक्रमा की अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए।

भक्ति भाव में डूबे रहे लोग
पूजा उपरांत विशाल दीपक भगवान को समर्पित किया गया तथा सामूहिक महाआरती के पश्चात सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। मंदिर परिसर घंटा-घड़ियाल, शंखनाद और हरि-नाम के गूंज से देर रात तक भक्ति भाव में डूबा रहा।

मंदिर में वर्षों से प्रबोधिनी एकादशी का आयोजन आस्था का प्रतीक
लक्ष्मीनारायण मंदिर में देव प्रबोधिनी एकादशी का आयोजन नगर में वर्षों से आस्था का प्रतीक बना हुआ है। गोवर्धन मठ पूरी के शंकराचार्य जी की प्रेरणा से आदित्य वाहनी एवं आनंद वाहनी की नारीशक्ति और पुरुष कार्यकर्ताओं द्वारा यह परंपरा जीवित रखी गई है। श्रद्धा, सेवा और सनातन संस्कृति की इस अखंड ज्योति ने नगरवासियों को भगवान के प्रति भक्ति भाव में एक सूत्र में बांध दिया है।
