जगदलपुर में निगम की बड़ी लापरवाही: 3 करोड़ की लागत से बना भवन उद्घाटन से पहले ही जर्जर, दरवाज़े-खिड़कियां चोरी

3 करोड़ की लागत से बना भवन उद्घाटन से पहले ही जर्जर, दरवाज़े-खिड़कियां चोरी
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नगर निगम द्वारा निर्मित भवन उद्घाटन के पहले जर्जर

नगर निगम द्वारा 3 करोड़ रुपये से निर्मित सर्व-मांगलिक भवन उद्घाटन के बिना ही जर्जर हो चुका है, दरवाज़े-खिड़कियों की चोरी, गेट टूटने और सीलिंग धंसने ने निगम की लापरवाही को उजागर कर दिया है।

अनिल सामंत - जगदलपुर। नगर निगम की गंभीर अनदेखी का उदाहरण शहर के जवाहर वार्ड में स्थित सर्व-मांगलिक भवन बना हुआ है। लगभग तीन करोड़ रुपये की लागत से मध्यम वर्गीय परिवारों के उपयोग हेतु तैयार यह भवन पाँच वर्ष बाद भी उद्घाटन का इंतजार कर रहा है। यही नहीं, बिना उपयोग के पड़ा यह भवन अब पूरी तरह जर्जर और क्षतिग्रस्त हो चुका है।

चोरी, टूट-फूट और खतरा- खुला पड़ा भवन असामाजिक तत्वों का बना अड्डा
निगम की उदासीनता का आलम यह है कि-

  • भवन की दरवाज़े-खिड़कियां चोरी हो चुकी हैं
  • मुख्य गेट का कांच टूट गया है
  • सीलिंग धंसने लगी है
  • परिसर की खाली जमीन पर अतिक्रमण की कोशिशें जारी हैं

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शासन की राशि से बना यह भवन वर्षों से बिना सुरक्षा के पड़ा है और अब असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है।


गुणवत्ता जांच पर भी उठे सवाल, निर्माण के दौरान ही दिखे थे दोष
वार्डवासियों का कहना है कि निर्माण चरण में ही खराब गुणवत्ता और स्पष्ट खामियां दिखाई देने लगी थीं। इसके बावजूद नगर निगम ने न तो गुणवत्ता जांच करवाई और न ही इसके संचालन की कोई योजना तैयार की। स्थानीय निवासियों ने आशंका जताई कि जिस तरह से भवन क्षतिग्रस्त हो चुका है, वह अपने मूल उद्देश्य को कभी पूरा कर पाएगा या नहीं।

अब 30 लाख की मेंटेनेंस योजना, ठेकेदार पर नहीं तय हुई जवाबदेही
निगम अब लगभग 30 लाख रुपये की मेंटेनेंस योजना का प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जबकि निर्माण में लापरवाही और घटिया सामग्री उपयोग को लेकर ठेकेदार पर कोई जवाबदेही तय नहीं हुई है। यह स्थिति प्रशासनिक संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार की आशंका को और बढ़ाती है।


पूर्व पार्षद ने 2021 में उठाई थी जांच की मांग, आज तक कार्रवाई नहीं
पूर्व पार्षद धनसिंह ने वर्ष 2021 में ही भवन में गुणवत्ता-हीन सामग्री, दरारें और शुरुआती नुकसान को लेकर शिकायत दर्ज कराते हुए जांच की मांग की थी। उन्होंने कलेक्टर और निगम आयुक्त तक निवेदन पहुँचाया था, लेकिन आज तक जांच शुरू नहीं हुई। उनका कहना है कि निर्माण के दौरान आई दरारें भ्रष्टाचार की ओर स्पष्ट संकेत देती थीं, परंतु जांच की जिम्मेदारी सब-इंजीनियरों पर होने के बावजूद अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। नतीजतन लाखों रुपये बर्बाद हो गए और कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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