रेलवे में पहली बार ड्रोन तकनीक: बिजली तारों की होगी सटीक जांच

रेलवे में पहली बार ड्रोन तकनीक:  बिजली तारों की होगी सटीक जांच
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File Photo 

पहली बार भारतीय रेलवे ने ओवरहेड इक्विपमेंट की जांच के लिए ड्रोन तकनीक से थर्मल इमेजिंग और निरीक्षण की शुरुआत की है।

रायपुर। भारतीय रेलवे में तकनीक के क्षेत्र में एक नई पहल की शुरुआत हुई है। पहली बार रेलवे ने ओवरहेड इक्विपमेंट की जांच के लिए ड्रोन तकनीक से थर्मल इमेजिंग और निरीक्षण की शुरुआत की है। इसकी शुरुआत शुक्रवार को रायपुर मंडल के उरकुरा ट्रैक्शन सब स्टेशन से की गई। इस अत्याधुनिक तकनीक की मदद से अब बिजली के तारों (ओएचई) की जांच बहुत ही कम समय में और अधिक सटीक तरीके से हो सकेगी।

बता दें कि, कई बार ओएचई लाइनों में आने वाली तकनीकी खराबियों की वजह से ट्रेनों का संचालन दोनों दिशाओं में बाधित हो जाता है,दोनों दिशाओं में बाधित हो जाता है, जिससे यात्रियों को भी परेशानी होती है। ऐसे में ड्रोन आधारित थर्मल इमेजिंग के जरिए अब रेलवे समय रहते इन संभावित खराबियों को पहले ही पकड़ सकेगा। इससे न केवल ट्रेनों की सुरक्षा और समयबद्धता बढ़ेगी, बल्कि मेंटेनेंस टीम को भी रखरखाव में काफी सहूलियत होगी। यह पहल भारतीय रेलवे को भविष्य की एआई आधारित प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस प्रणाली की ओर भी अग्रसर करेगी।

ड्रोन तकनीक बताएगी खराबी
भारतीय रेलवे ने पहली बार ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल ओवरहेड वायर की थर्मल इमेजिंग और जांच के लिए शुरू किया है। इस तकनीक से पता लगाया जा सकता है कि तारों में कोई कनेक्शन ढीला तो नहीं है, या कहीं ज्यादा गर्मी तो नहीं बन रही है, जिससे कोई खराबी हो सकती है। अधिकारियों का दावा है कि ड्रोन से निगरानी करने से रेलवे की सुरक्षा, भरोसेमंद सेवा और रखरखाव में काफी सुधार होगा। ये कदम भविष्य में एआई तकनीक की मदद से समय से पहले खराबी का अंदाजा लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस अवसर पर बजरंग अग्रवाल (अपर मंडल रेल प्रबंधक, रायपुर), अनुराग तिवारी (वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर ऑपरेशन, रायपुर), प्रतीक मिश्रा (वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर/टीआरडी, रायपुर), अमित गुप्ता (वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर टीआरएस, भिलाई), विवेक पटेल (वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर/इलेट्रिकल जनरल, रायपुर) तथा अभिनव कुमार राठौर (मंडल विद्युत इंजीनियर/टीआरडी रायपुर) उपस्थित रहे।

रायपुर से रेलवे की नई पहल ड्रोन के जरिए जांच का
सिस्टम देश में अभी रायपुर में ही शुरू हुआ है। तकनीक सफल होने के बाद इसका विस्तार पूरे जोन में किया जाएगा। इसके अलावा दूसरे मंडल व जोन में भी इस उपयोग में लाया जा सकता है। बता दें कि ओएचई में समस्या ज्यादातर गर्मी के मौसम में देखने को मिलती है। कई बार बारिश में भी तुफान की वजह से समस्या आ जाती है। ड्रोन तत्काल जांच करने में मददगार साबित होगा।

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