पुजारी और उनके परिवार को बड़ी राहत: हाईकोर्ट ने दर्ज एट्रोसिटी केस की कार्रवाई पर लगाई रोक, शिकायतकर्ता से मांगा जवाब

बिलासपुर हाईकोर्ट
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पुजारी और परिवार पर दर्ज एट्रोसिटी केस की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

बिलासपुर के हाईकोर्ट ने राम मंदिर के पुजारी और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज केस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने शिकायतकर्ता से जवाब मांगा है।

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। बिलासपुर के हाईकोर्ट ने मनेन्द्रगढ़ के राम मंदिर के पुजारी और उनके परिवार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने पुजारी और परिवार पर दर्ज एट्रोसिटी केस की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। वहीं मामले में शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। यह पूरा मामला जातिगत टिप्पणी से जुड़ा हुआ है।

दरअसल, मामला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी- भरतपुर जिले के वार्ड क्रमांक 17, राम मंदिर परिसर से जुड़ा है। याचिकाकर्ता रामचरित द्विवेदी, ठाकुर प्रसाद द्विवेदी उर्फ सोनू नित्यानंद द्विवेदी और दिनेश कुमार द्विवेदी के खिलाफ शिकायतकर्ता नरसिंह वासिया ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप लगाया गया कि, उन्होंने जातिगत टिप्पणी कर उन्हें अपमानित किया।

पुजारी और उनके परिवार को किया गया परेशान
शिकायत के बाद पुलिस ने पुजारी और उनके परिवार को बार-बार थाने बुलाया। इससे परेशान होकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने की मांग की। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अमित कुमार ने तर्क दिया कि, शिकायत 10 अगस्त 2023 को थाना मनेन्द्रगढ़ में दी गई थी, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। इसके बाद शिकायतकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत न्यायालय में आवेदन लगाया।

दुश्मनी में फंसाने का लगाया आरोप
15 जुलाई 2025 को न्यायालय ने आवेदन स्वीकार कर संबंधित थाना को एफआईआर दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि, 10 अगस्त 2023 की शाम करीब 7 बजे जब कुछ बच्चे मंदिर परिसर में क्रिकेट खेल रहे थे, तब पुजारी और उनके परिजनों ने शिकायतकर्ता को जाति के आधार पर गाली दी। दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि, शिकायत झूठी है और उन्हें पुरानी दुश्मनी के कारण फंसाया गया है।

शिकायतकर्ता से कोर्ट ने मांगा जवाब
दोनों पक्षों के बीच पहले से ही विवाद चल रहा है, जिसके चलते उसी दिन सीआरपीसी की धारा 107, 116(3) के तहत दोनों पक्षों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। हाईकोर्ट ने पूरे मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद एफआईआर की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है और जवाब मांगा है।

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