अपहरण- फिरौती कांड में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: चार आरोपियों की अपील खारिज, उम्र कैद का फैसला रखा बरकरार

अपहरण- फिरौती कांड में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : चार आरोपियों की अपील खारिज, उम्र कैद का फैसला रखा बरकरार
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हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने दुर्ग के अपहरण और फिरौती कांड में नागपुर के चार आरोपियों की अपील खारिज करते हुए निचली अदालत के उम्र कैद के फैसले को बरकरार रखा है।

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुर्ग के चर्चित अपहरण और फिरौती कांड में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने नागपुर के चार आरोपियों की अपील खारिज करते हुए निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा है। अब चारों आरोपी उम्रकैद की सजा काटेंगे।

आपको बता दें कि, यह मामला 13 जुलाई 2015 का है, जब दुर्ग के कारोबारी अमित गोयल को मकान दिखाने के बहाने बुलाकर कार सवार बदमाशों ने अगवा कर लिया था। अपहरणकर्ताओं ने फोन पर 10 लाख रुपए की फिरौती मांगी और रकम नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी थी। पीड़ित परिवार ने रकम का इंतजाम कर अपहरणकर्ताओं को तय जगह पर पैसा सौंपा, जिसके बाद अमित गोयल को देर रात उरला रोड पर छोड़ा गया।

पुलिस ने आरोपियों को नागपुर से किया गिरफ्तार
पुलिस ने जांच के दौरान आरोपियों को नागपुर से गिरफ्तार कर उनके पास से नकदी, सोने के जेवर और अन्य सामान जब्त किए थे। ट्रायल कोर्ट ने 2019 में चारों आरोपियों- रविंद्र कृष्णा देवांगन, प्रवीन घाटे, संजय धोंगरे और रवि बंसोड़ को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।

कोर्ट ने की यह टिप्पणी
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद) ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि अपहरण और फिरौती के पूरे मामले में अभियोजन ने ठोस सबूत पेश किए हैं। अमित गोयल ने कोर्ट में आरोपियों की शिनाख्त की और घटनाक्रम का विस्तार से ब्यौरा दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि फिरौती के लिए अपहरण (IPC की धारा 364A) गंभीर अपराध है, जिसकी सजा केवल मौत या उम्रकैद ही हो सकती है। लिहाजा सजा में किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती।

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