हाई कोर्ट ने खारिज की कर्मचारी की याचिका: कहा- जरुरत के हिसाब से किया जा सकता है ट्रांसफर, यह सरकार का अधिकार

बिलासपुर हाई कोर्ट
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हाई कोर्ट ने खारिज की कर्मचारी की याचिका

बिलासपुर हाई कोर्ट ने कर्मचारी की ट्रांसफर के खिलाफ दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा- ट्रांसफर सेवा का हिस्सा है, अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।

पंकज गुप्ते- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के एक कर्मचारी ने ट्रांसफर के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिस पर हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कर्मचारी की याचिका को ख़ारिज कर दिया है।हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि, स्थानांतरण और तैनाती सेवा का अभिन्न हिस्सा है। अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए, जब तक कि आदेश दुर्भावना से प्रेरित न हो या नियमों का उल्लंघन न किया गया हो।

हाईकोर्ट ने कहा कि, कर्मचारियों को जनहित और प्रशासनिक आवश्यकता के अनुसार नियोक्ता के आदेश पर कहीं भी तैनात किया जा सकता है। अगर किसी कर्मचारी के स्थानांतरण से कोई पद रिक्त होता है, तो उस पर किसी अन्य व्यक्ति की तैनाती करना सरकार का अधिकार है। मामला जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय, बिलासपुर में पदस्थ सहायक ग्रेड-2 जितेंद्र कुमार से जुड़ा है। डीईओ ने उन्हें मानिकचौरी मस्तूरी स्थानांतरित कर दिया था।

ट्रांसफर के खिलाफ लगाई थी याचिका
ट्रांसफर के खिलाफ जितेंद्र कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रांसफर आदेश को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि, उनकी नियुक्ति वर्ष 1994 में सहायक ग्रेड-3 पद पर हुई थी और 2008 में पदोन्नति के बाद वे सहायक ग्रेड-2 बने। वर्तमान में वे डीईओ कार्यालय बिलासपुर के विधि प्रकोष्ठ में लेखा परीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

हाई कोर्ट ने ख़ारिज की याचिका
जितेंद्र कुमार तर्क था कि, वे स्कूल शिक्षा विभाग, बिलासपुर के अंतर्गत कार्यरत हैं, न कि डीईओ कार्यालय के नियमित कर्मचारी, इसलिए कलेक्टर को उनका ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं है। शासन की ओर से जवाब में कहा गया कि, प्रशासनिक आवश्यकता के तहत कर्मचारी का स्थानांतरण राज्य का विशेषाधिकार है। हाईकोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि, स्थानांतरण सेवा का दायित्व है और कर्मचारी को इसे अपनी जिम्मेदारी मानकर पालन करना चाहिए।

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