हाईकोर्ट का फैसला: कर्मचारी की मृत्यु के लंबे समय बाद नहीं दी जा सकती अनुकंपा नियुक्ति

हाईकोर्ट का फैसला : कर्मचारी की मृत्यु के लंबे समय बाद नहीं दी जा सकती अनुकंपा नियुक्ति
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अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार को तत्काल वित्तीय राहत प्रदान करना होता है।

बिलासपुर। अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार को तत्काल वित्तीय राहत प्रदान करना होता है। लंबे समय बाद नियुक्ति के लिए दावा करना इसके उद्देश्य को विफल करता है। कोर्ट ने कहा है कि कर्मचारी की मृत्यु के लंबे समय बाद अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। याचिकाकर्ता स्मृति वर्मा ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर दायर याचिका में बताया कि उसकी मां विकासखंड शिक्षा अधिकारी गरियाबंद के अधीन सहायक शिक्षिका के पद पर कार्यरत थीं।

नौ दिसंबर2000 को सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उस समय वह नाबालिग थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि वर्ष 2015 में वयस्क हो गई। 05 अगस्त 2015 को उसने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। विभाग ने 29 अगस्त 2017 के आदेश द्वारा इस आवेदन अस्वीकार कर दिया। शिक्षा विभाग के इस आदेश को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने शिक्षा विभाग के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

रोजगार के सामान्य नियम का अपवाद
सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए स्मृति वर्मा ने डिवीजन बेंच में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच के समक्ष पैरवी करते हुए कहा, प्राधिकारियों ने 2003 की अनुकंपा नियुक्ति नीति को गलत तरीके से लागू किया। वर्ष 2000 में उसकी मां की मृत्यु के समय लागू नीति 1994 की नीति थी। डिवीजन बेंच ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति रोजगार के सामान्य नियम का अपवाद है। इसका उद्देश्य केवल उस सरकारी कर्मचारी के परिवार की सहायता करना है।

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